उत्तर प्रदेश के मथुरा।सदर थाना क्षेत्र में आठ अप्रैल को मृत मिले नौ वर्षीय बालक को न्याय देने में कोर्ट ने मात्र 15 कार्य दिवस का समय लगाया। सोमवार को विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट रामकिशोर यादव की अदालत ने जैसे ही फैसला सुनाया परिजनों की आंखें नम हो गईं। सभी बच्चे को याद करने लगे, यहां तक कि पिता और मां तो कोर्ट के अंदर ही रोने लगे मृत बच्चे के पिता से बात की तो उन्होंने कहा कि उन्हें यह तो पता था कि उनके बेटे को न्याय मिलेगा, लेकिन न्याय इतनी जल्दी मिल जाएगा यह सपने में भी नहीं सोचा था। उन्होंने पुलिस और न्यायालय का आभार प्रकट करते हुए कहा एसएसपी शैलेष कुमार पांडेय ने खुद इस मामले का पर्यवेक्षण किया। उसी का नतीजा है कि कोर्ट ने सोमवार को आरोपी सैफ को फांसी की सजा सुनाई। बात करते हुए बार-बार नम हो रहीं आंखों को पोंछते हुए उन्होंने कहा कि कोर्ट ने मेरे और मेरे बेटे के साथ न्याय किया है। आरोपी द्वारा हाईकोर्ट जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट तक पीछे नहीं हटेंगे। जब तक आरोपी को फांसी नहीं हो जाती वह चुप नहीं बैठेंगे।बेटे को याद करते हुए कहा कि अल्लाह ने तीन औलाद दीं, इनमें दो बेटियां और एक बेटा था। बेटे को सैफ ने मौत के घाट उतार दिया। बताया कि सैफ को उसके भाई के कहने पर दुकान पर नौकरी दी, रहने को मकान दिया, उसके बाद भी उसने घर के चिराग को बुझा दिया। कोर्ट ने सैफ को फांसी की सजा सुनाकर उनका दर्द कम तो कर दिया, लेकिन मरते दम तक वह अपने बेटे को नहीं भूल पाएंगे। बेटे की मौत के बाद उसकी मां की मानसिक हालत स्थिर नहीं हो पा रही है। उन्होंने बताया कि कोर्ट द्वारा दोषी को फांसी की सजा सुनाने से उन्हें राहत तो मिली है, लेकिन बेटा खोने का दर्द कम नहीं हुआ है। बच्चे की मां कई बार के प्रयास के बाद केवल इतना बोलीं कि उनके बेटे को कोर्ट ने इंसाफ द भाई फांसी हो गई, अब कब लगेगी, कितना समय लगेगा। कुछ इसी प्रकार की चर्चा थी मृत बच्चे के ताऊ की दुकान पर। कोर्ट द्वारा दोषी सैफ को फांसी की सजा सुनाए जाने के बाद जो भी दुकान पर आ रहा था उसकी जुबान पर बस यही चर्चा थी। लोग यह भी जानने का प्रयास कर रहे थे कि उन्होंने जो खबर सुनी है वह सही है या नहीं। दुकान पर आने वाला प्रत्येक व्यक्ति केवल यही पूछ रहा था कि भाई फांसी वाली बात सही है क्या। वह लोगों की जिज्ञासा को शांत करते नजर आए। मथुरा। कोर्ट द्वारा बालक से कुकर्म और हत्या के मामले में दोषी को सजा सुनाने में पुलिस की सराहनीय भूमिका रही। पीड़ित के परिजनों की तहरीर पर पुलिस ने तत्काल मुकदमा दर्ज कर मामले की पड़ताल शुरू की। बाजार में लगे सीसीटीवी फुटेज खंगाले तो आखिरी बार बच्चा सैफ के साथ जाता दिखाई दिया। इसी आधार पर पुलिस ने आरोपी की गिरफ्तारी की। पुलिस ने मामले का खुलासा करते हुए आरोपी से पूछताछ की तो उसने बच्चे के साथ कुकर्म करने और बदनामी के डर से बच्चे को मौत के घाट उतारने का आरोप कबूल किया।मामले की गंभीरता देखते हुए थाना प्रभारी निरीक्षक जसवीर सिंह ने स्वयं इस मामले की विवेचना की। विवेचना में उन्होंने घर के पास और बाजार में लगे करीब डेढ़ सौ सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली। सभी फुटेज को एकत्रित किया और पर्याप्त सबूत एकत्रित कर मात्र एक महीने एक दिन में (28 अप्रैल को चार्टशीट दाखिल, 2 मई को कोर्ट ने चार्ज लगाया, आठ मई को पहली गवाही, 18 मई को सभी की गवाही पूरी, 22 मई को फाइनल बहस, 26 मई को अभियुक्त सैफ को सभी धाराओं में दोषी सिद्ध किया और 29 मई को सजा सुनाई) ही आरोप पत्र कोर्ट में दाखिल कर दिया। पुलिस ने इस मामले में 14 गवाह बनाए। सीसीटीवी फुटेज और गवाही के आधार पर ही कोर्ट ने आरोपी को दोषी मानकर फांसी की सजा सुनाई। पुलिस मामले की जांच कर रही हे


































