आम आदमी पार्टी के स्वघोसित ईमानदार प्रमुख पार्टी के अधिष्ठाता केज्रिवारल एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करते है, पूर्ण आत्मविस्वास से कहते है की सीबीआई लगाओ, जाँच कराओ और गिरफ्तार करो, क्युकी उन्होंने ही अपने समकक्ष ईमानदार मनीष को विश्व का सबसे श्रेष्ठ शिक्षा मंत्री की उपाधि प्रदान की थी इसलिए वो पूरी तरह से निश्चिन्त थे की उनके अप्रोवल के बाद कुछ शेष नहीं बचना चाहिए जिसकी जाँच हो।
दिल्ली के शराब घोटाला मामले में आरोपित मनीष सिसोदिया को सीबीआई ने गिरफ्तार करके दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश किया। जहाँ सुनवाई करते हुए कोर्ट ने उन्हें 5 दिन की सीबीआई रिमांड में भेज दिया है। इसका मतलब स्पस्ट है कि अब सीबीआई सिसोदिया से और कड़ी पूछताछ करेगी या फिर करनी चाहिए ।
अब आप लोग सोच रहे होंगे की lockdown के समय अजब अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए शराब के व्यापर ने बहुत सहायता की थी तो उसमे क्या घोटाला हो सकता है, जबकि स्वयंभू दिल्ली के मालिक ने दिल्ली की शराब नीति को लेकर दावा किया था कि इससे राजस्व में 3500 करोड़ रुपए का फायदा होगा। जबकि इस पूरे मामले की जाँच करते हुए ईडी ने पाया है कि इस शराब घोटाले से राजस्व में 2873 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। हे ये कैसे फायदे की जगह नुकशान वो भी एक IIT में पढ़े लिखे IRS अधिकारी के होते हुए।
तो आईये मात्र 15 पॉइंट्स में समझिए क्या है शराब घोटाला और क्यों गए ब्रह्माण्ड के दूसरे सबसे कट्टर ईमानदार नेता जेल में
1.) लोकडाऊन के चलते कोरोना काल में नवंबर 2021 में लागू की गई थी दिल्ली सरकार की नई शराब नीति, इसके अंतर्गत दिल्ली राज्य में कुल 849 दुकानें खोली गईं। इस शराब नीति के आने से पहले 60% दुकानें सरकारी और 40% प्राइवेट होती थीं। यही से घोटाले की आधारशिला रखी गयी की नयी शराब नीति में सभी दुकानें प्राइवेट कर दी गईं। इससे सरकार को सीधी तरह नुकसान हुआ क्युकी सरकार का राजस्व इनके कार्यकर्त्ता के घर गया ।
2.) दिल्ली सरकार ने शराब बेचने के लिए मिलने वाले लाइसेंस की फीस कई गुना बढ़ा दी। L-1 लाइसेंस पहले ठेकेदारों को 25 लाख रुपए में मिल जाता था। हालाँकि नई शराब नीति लागू होने के बाद इसके लिए ठेकेदारों को 5 करोड़ रुपए देने पड़े। इसी तरह अन्य लाइसेंस के लिए भी फीस कई गुना तक बढ़ा दी गई। इससे छोटे ठेकेदार लाइसेंस नहीं ले सके। इसका सीधा फायदा बड़े व्यपारियों को मिला जो इनके नजदीकी लोग थे ।
3.) उप मुख्यमंत्री और आबकारी मंत्री मनीष सिसोदिया के कहने पर आबकारी विभाग द्वारा L-1 बिडर को 30 करोड़ रुपए वापस कर दिए। दिल्ली एक्साइज पॉलिसी में किसी भी बिडर का पैसा बापस करने का नियम नहीं है। लेकिन सिसोदिया के कहने पर भी यह भी हुआ जो की जाँच का विषय है की क्यों दिए बापस ।
4.) कोरोना काल में शराब कंपनियों को हुए नुकसान की भरपाई करने के नाम पर केजरीवाल सरकार ने लाइसेंस फीस में बड़ी छूट दी। वास्तव में सरकार ने कंपनियों की 144.36 करोड़ रुपए की लाइसेंस फीस माफ कर दी थी जो की फिर से जाँच का विषय है क्युकी करोना काल में भी शराब खूब बिकी और कोई घाटा का प्रमाण नहीं है ।
5.) विदेशी शराब और बियर केन पर मनमाने ढंग से 50 रुपए प्रति केस की छूट दी गई लेकिन क्यों दी इसका कोई स्पस्ट कारण नहीं है। वास्तव में यह छूट सहयोगी विदेशी कंपनियों को प्रत्यक्ष फायदा देने के लिए दी गई थी।
6.) दिल्ली सरकार ने नई शराब नीति के तहत दिल्ली राज्य को कुल 32 जोन में बाँटा गया था। इसमें से 2 जोन के ठेके एक ऐसी कंपनी को दिए गए जो पहले से ही ब्लैक लिस्टेड थी।
7.) शराब बेचने वाली कंपनियों के बीच कार्टेल पर प्रतिबंध होने के बाद भी केजरीवाल सरकार ने शराब विक्रेता कंपनियों के कार्टेल को लाइसेंस दिए थे। इसके तहत शराब कंपनियों को शराब पर डिस्काउंट देने और एमआरपी पर बेचने के बजाय खुद कीमत तय करने की छूट मिल गई। इसका फायदा भी शराब बेचने वालों को हुआ।
8.) नई शराब नीति को लेकर कैबिनेट की बैठकों में मनमाने ढंग से फैसले लिए गए। यही नहीं, नियमों को ताक पर रखते हुए कैबिनेट नोट सर्कुलेशन के बिना ही प्रस्ताव पास करा दिए गए।
9.) शराब विक्रेताओं को फायदा पहुँचाने के उद्देश्य से ड्राई डे की संख्या घटा दी गई। यह संख्या पहले 21 थी, वहीं नई शराब नीति के तहत दिल्ली में ड्राई डे महज 3 दिन ही था।
10.) शराब ठेकेदारों को पहले 2.5 प्रतिशत कमीशन मिलता था। वहीं नई शराब नीति के तहत इसे बढ़ाकर 12 प्रतिशत कर दिया गया। इससे शराब ठेकेदारों को फायदा हुआ। वहीं सरकारी खजाने को नुकसान झेलना पड़ा।
11.) केजरीवाल सरकार ने दिल्ली के 2 जोन में शराब निर्माता कंपनी को रिटेल में शराब बेचने की अनुमति दी। जबकि नियम यह है कि शराब निर्माता और रिटेल विक्रेता अलग-अलग होगा, ऐसा क्यों किया उन्होंने बताना जरुरी नहीं समझा क्युकी वो दिल्ली के मालिक है ।
12.) उपराज्यपाल एक संवैधानिक पद है और उससे अनुमति लिए बिना ही दो बार आबकारी नीति को आगे बढ़ाया गया क्यों? साथ ही मनमाने ढंग से छूट भी दी गई। इसका शराब कंपनियों ने जमकर फायदा उठाया। कैबिनेट की बैठक बुलाकर ही सारे फैसले ले लिए गए और LG को पता भी नहीं चला ।
13.) दिल्ली सरकार ने बिना किसी ठोस आधार के टेंडर में नई शर्त जोड़ते हुए कहा था कि हर वार्ड में कम से कम दो दुकानें खोलनी पड़ेंगीं। इसके लिए दिल्ली के आबकारी विभाग ने भी केंद्र सरकार से अनुमति लिए बिना ही अतिरिक्त दुकानें खोलने की अनुमति भी दे दी। इसका महानतम शराब नीती का शराब निर्माता कंपनियों ने जमकर फायदा भी उठाया।
14.) सोशल मीडिया, बैनर्स और होर्डिंग्स के जरिए शराब को बढ़ावा देने वालों पर दिल्ली सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की जबकि एक समय था सार्वजानिक स्थानों पर शराब पीने पर जेल जाने का नियम था। यह दिल्ली एक्साइज नियम 2010 के 26 और 27 नियम का उल्लंघन है लेकिन मालिक से कौन कहे ।
15.) नई आबकारी नीति लागू करने के लिए केजरीवाल सरकार ने जीएनसीटी एक्ट-1991, ट्रांजैक्शन ऑफ बिजनेस रूल्स 1993, दिल्ली एक्साइज एक्ट 2009 और दिल्ली एक्साइज रूल्स 2010 का सीधे तौर पर उल्लंघन किया जिसके कारण उपराजयपाल ने जाँच के आदेश दिए थे ।
दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री, विश्व के सबसे बेस्ट शिक्षा मंत्री और शराब नीति निर्माता आदरणीय आबकारी मंत्री मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी को लेकर आम आदमी पार्टी अब हँगामा कर रही है। कहा जा रहा है कि चार्जशीट में नाम न होने के बाद भी उन्हें गिरफ्तार क्यों किया गया। दरअसल, सिसोदिया की गिरफ्तारी में दिनेश अरोड़ा का नाम सबसे अहम माना जा रहा है। अरोड़ा सिसोदिया का करीबी था। अब वह सरकारी गवाह बन गया है। अरोड़ा ने ही सिसोदिया समेत कई अन्य आरोपितों के नाम लिए हैं।
इसके अलावा, कहा जा रहा है कि सीबीआई मनीष सिसोदिया से अन्य आरोपितों व डिजिटल सबूतों को लेकर भी पूछताछ कर रही है। असल में, शराब घोटाले के आरोपितों ने 170 फोन बदले थे। इसमें से सिसोदिया जी ने भी 14 फोन बदले थे। जाँच एजेंसियों का मानना है कि इन फोन में ही अहम सबूत थे। इसलिए सिसोदिया समेत अन्य आरोपितों ने या इन्हें तो बदल दिया या तोड़ दिया। अब सीबीआई तमाम सबूतों को डिजिटल माध्यम से इकट्ठा करने के बाद सिसोदिया से पूछताछ कर रही है।
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