आजकल सोशल मीडिया पर पेरियार समर्थक अजब अजब प्रश्न पूछकर सोचते है इतने तर्कशील प्रश्नो के कोई उत्तर नहीं दे पायेगा, और मुझे लगता है इतने मूर्खतापूर्ण प्रश्नो केउत्तर किसी ने देना उचित ही नहीं समझा नहीं तो गीता प्रेस गोरखपुर या इस्कॉन या फिर अन्य धार्मिक संस्थाओ के लोग तो बड़ी आसानी से थे, खैर ये मूर्खतापूर्ण प्रश्नो के उत्तर ये रहे
1- क्या तुम कायर हो, जो हमेशा ही छिपे रहते हो, कभी किसी के सामने प्रकट नहीं होते?
उत्तर – हरि व्यापक सर्वत्र समाना, प्रेम से प्रकट होई हम जाना, आप प्रेम करो तो आपको भी वैसे ही दर्शन होंगे जैसे कबीर जी, रविदास जी, मीरा जी, तुलसी दास जी, सूरदास, चैतन्य महाप्रभु, नाभादास, बिट्ठलदास जी को हुए थे
2- क्या तुम्हें खुशामद पसंद है, जो लोगों से दिन रात पूजा-अर्चना करवाते हो?
उत्तर – ये तुम्हारे शब्दकोश का समस्या है, भक्ति मनुस्य अपनी श्रद्धा से करते है जिससे मन को आनंद मिलता है।
3- क्या तुम सदेव भूखे रहते हो, जो लोगों से मिठाई, दूध, घी आदि लेते रहते हो ?
उत्तर – फिर से आपका शब्दकोश आड़े आ गया, पत्रं पुष्पं फलं तोयं यो मे भक्त्या प्रयच्छति । तदहं भक्त्युपहृतमश्नामि प्रयतात्मनः ये भगवान ने स्वयं कहा है, भगवान भाव के भूके है।
4- क्या तुम मांसाहारी हो जो लोगों से निर्बल पशुओं की बलि चढ़वाते हो?
उत्तर – ये किसने कहा करने को, लोगो के एकदेशीय कर्मो का बिल भगवान के नाम पर मत फाड़ो
5- क्या तुम सोने के व्यापारी हो, जो मंदिरों में लाखों टन सोना दबाए हुए हो?
उत्तर – मंदिरो में सोना दबाये हुए नहीं है, वो तो मनुष्य ने एक स्थान पर एकत्रित किया था जिससे प्राणी मात्र का सहायता हो सके, और वही हो रहा है
6- क्या तुम व्यभिचारी हो, जो मंदिरों में देवदासियां रखते हो?
उत्तर – फिर से आपकी विकृत मानसिकता का परिचय दिख रहा है, देवदासियां रखने का विधान तो किसी भी मंदिर में नहीं है, किसी किसी मंदिर की परम्परा हो सकती है, या शायद आपका आरोप चर्च पर होगा जिसमे नन होती है।
7- क्या तुम कमजोर हो, जो रोजाना होने वाले बलात्कारों को नही रोक पाते?
उत्तर – क्या मनुस्य के पास खुद बुद्धि नहीं है सही और गलत का निर्णय लेने की, अगर तुमको बलात्कार गलत लगता है तो करने वाले को क्यों नहीं लगता है ? वो भी शायद आपकी तरह ही विकृत मानसिकता का होगा जो दिखाने के लिए हरकते कर रहा है।
8- क्या तुम मूर्ख हो, जो दुनिया के देशों में गरीबी-भुखमरी होते हुए भी अरबों रुपयों का अन्न, दूध, घी, तेल बिना खाए ही नदी-नालों में बहा देते हो?
उत्तर – शायद तुम ये भूल रहे हो की गरीबी और भुकमरी के लिए जिम्मेदार तो मनुस्य खुद ही है, अगर खुद के पास खाने को नहीं है तो फिर संतान क्यों पैदा करते जा रहे हो, उतना ही वंश बढ़ाओ जितने का पालन पोषण कर सको, मंदिरो में दान इसलिए दिया जाता है की जरुरतमंदो को भोजन मिल सके, आप जाओ मंदिर में प्रसाद जरूर मिलेगा
9- क्या तुम बहरे हो जो बेवजह मरते हुए आदमी, बलात्कार होती हुई मासूमों की आवाज नहीं सुन पाते?
उत्तर – फिर तो तुम भी कायर हो जो, जुल्म करने वाले के दो हाथ है और तुम्हारे भी दो हाथ है, फिर भी उसको तत्काल सबक सिखाने के बजाये झुनझुना बजा रहे हो, भगवान सब सुनते है और उनका न्याय उनके हिसाब से होता है न की आप जैसे मुर्ख लोगो के बहकावे में आकर
10- क्या तुम अंधे हो, जो रोज अपराध होते हुए नहीं देख पाते?
उत्तर – अपराध करने वाले भी बुद्धि रहित है जो नित्य प्रतिदिन मरते हुए लोगो को देखकर समझ नहीं पाते की बुरे कर्म करने पर परिणाम क्या होगा
11- क्या तुम आतंकवादियों से मिले हुए हो, जो रोज धर्म के नाम पर लाखों लोगों को मरवाते रहते हो?
उत्तर – अपने कुकर्मो का बिल भगवान के नाम पर मत फाड़ो, भगवान ने कभी नहीं बोला की मुझे नहीं माने उसे मार दो, शायद यहाँ आप इस्लाम पर आरोप लगा रहे हो
12- क्या तुम आतंकवादी हो, जो ये चाहते हो कि लोग तुमसे डरकर रहें?
उत्तर – भगवान ने कब बोला मुझसे डरो ? भगवान ने तो बोला है मुझसे प्रेम करो मन्मना भव मद्भक्तो मद्याजी मां नमस्कुरु ।
मामेवैष्यसि सत्यं ते प्रतिजाने प्रियोऽसि मे
13- क्या तुम गूंगे हो, जो एक शब्द नहीं बोल पाते, लेकिन करोड़ों लोग तुमसे लाखों सवाल पूछते हैं?
उत्तर – जो मन से श्रद्धा सहित भगवान से पूछता है उसको भगवान का उत्तर भी मिलता है, अब ये तो आपकी श्रद्धा भक्ति और प्रश्न पर निर्भर है की आपको क्या मिलेगा।
14- क्या तुम भ्रष्टाचारी हो, जो गरीबों को कभी कुछ नहीं देते, जबकि गरीब पशुवत काम करके कमाए गए धन की पाई-पाई तुम्हारे ऊपर न्यौछावर कर देता है?
उत्तर – गरीब को भी दो हाथ, दो पैर, दो आंखे, एक मुँह दो कान और एक दिमाग दिया है, और अमीर को भी यही दिया है, बस सोच आपको खुद बनानी पड़ेगी की कर्म करना है सत्कर्म करना है या कुकर्म करना है।
15- क्या तुम मुर्ख हो, जो हम जैसे नास्तिकों को पैदा किया जो तुम्हे खरी-खोटी सुनाते रहते हैं और तुम्हारे अस्तित्व को ही नकारते हैं?
उत्तर – भगवान ने आप जैसे लोगो को इसलिए बनाया ताकि मनोरंजन होता है, और लोग मूर्खो को आसानी से पहचान सके। वैसे हिज तरह से पेरिअर से सवाल पूछे है उससे तो ऐसा लगता है इसको भगवान प्रत्यक्ष दीखते होंगे