उत्तर प्रदेश के एटा में बृहस्पतिवार को यह थोक में 150-160 और फुटकर में 160 से 180 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गया। महंगाई की वजह से इसकी खपत और मांग भी घटकर एक तिहाई रह गई है। बाजार में इसके खरीदार नजर नहीं आ रहे हैं। महीने भर से टमाटर की महंगाई लोगों के लिए मुसीबत बनी हुई है। साथ ही अच्छा टमाटर भी ढूंढ़ना मुश्किल हो गया है। छोटे आकार का पीले रंग का टमाटर ही बाजार में दिख रहा है। जिसे लोग खरीदना पसंद नहीं करते थे। इस समय यही टमाटर 160 रुपये किलो बेचा जा रहा है। जबकि इक्का-दुक्का दुकानों पर ही बड़े आकार का लाल टमाटर नजर आ रहा है, जो 180 रुपये किलो तक बिक रहा है। पिछले सप्ताह इन टमाटरों की कीमत 120-140 रुपये के आसपास थी। इस सप्ताह और उछाल आया है।व्यापारी बता रहे हैं कि स्थानीय मंडियों में टमाटर उपलब्ध नहीं है। अन्य प्रदेश की मंडियों से मंगाया जा रहा है। भाड़े के चलते कीमत और बढ़ जाती है। थोक व्यापारी नितिन कुमार ने बताया कि इस समय कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश का टमाटर आ रहा है, जो काफी महंगा है। पहले मंडी से हर दिन 350 क्विंटल तक की मांग थी। अब यह घटकर 1100 पर आ गई है, जो दुकानदार चार-पांच क्रेटें ले जाते थे, अब दो-तीन दिन में एक क्रेट लेकर जा रहे हैं।सब्जी विक्रेता नितिन शाक्य ने बताया कि बाहर से आ रहा टमाटर हमको ही काफी महंगा मिल रहा है। शुक्रवार को इसे 160 रुपये किलो बेचा। स्थिति यह है कि पहले 8-10 किलो टमाटर एक दिन में बिक जाता था। अब एक-दो किलो भी नहीं बिक रहा।ग्राहक वासुदेव सिंह ने बताया कि टमाटर पर यह महंगाई चौंकाने वाली है, जिसको सरकारें भी नियंत्रण नहीं कर पा रही हैं। हालांकि यह कोई ऐसी चीज नहीं है कि इसके बिना सब्जी नहीं बने। इसलिए इसकी खरीद बहुत जरूरत पर ही कर रहे हैं।


































