हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले में भागवंती ने बताया कि छह साल पहले पीरन पंचायत में उनके परिवार को बीपीएल सूची में डाला गया था। इसके बाद वह लगातार पंचायत प्रतिनिधियों और उच्चाधिकारियों के आगे घर के लिए पैसे देने की मांग करती रही। आज तक उसकी सुनवाई नहीं की गई है। सरकारी योजनाओं के नाम पर आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के साथ कैसे मजाक होता है, इसका उदाहरण मशोबरा ब्लाॅक के अंतिम छोर की पीरन पंचायत के गांव शिल्ली की भागवंती देवी हैं। छह साल पहले भागवंती को बीपीएल परिवार की सूची में शामिल किया गया था। भागवंती को अब तक मकान बनाने के लिए पैसे नहीं मिल सके हैं। छह साल से भागवंती मकान के बजट के लिए कभी पंचायत प्रतिनिधियों तो कभी अफसरों के दरवाजे पर ठोकरें खा रही हैं। आज तक इसकी सुनवाई कहीं नहीं हुई। भागवंती बीते 17 साल से पति और दो बच्चों के साथ टिन के ढारे में रहने को मजबूर है। छह साल पहले बीपीएल में नाम आने से उम्मीद जगी थी कि सरकार की मदद से उनका अपना घर बनेगा पर ऐसा कुछ नहीं हुआ। भारी बारिश, ठंड में भागवंती टिन की चादरों से बने ढारे में गुजारा कर रही हैं। सरकार की ओर से गरीबों को आवास योजना प्रदान करने के दावे यहां खोखले साबित हो रहे हैं। भागवंती ने बताया कि छह साल पहले पीरन पंचायत में उनके परिवार को बीपीएल सूची में डाला गया था। इसके बाद वह लगातार पंचायत प्रतिनिधियों और उच्चाधिकारियों के आगे घर के लिए पैसे देने की मांग करती रही। आज तक उसकी सुनवाई नहीं की गई है। व्यथा सुनाते हुए भागवंती ने बताया कि उनके ढारे में दरवाजा न होने के कारण बरसात में कई बार सांप और बिच्छू अंदर प्रवेश कर जाते हैं। बारिश का सारा पानी ढारे के अंदर आ जाता है। इससे खाना बनाना और सोना मुश्किल हो जाता है। मेहनत मजदूरी कर घर बनाने का काम शुरू किया था। सोचा था सरकार की ओर से भी कुछ मदद मिल जाएगी। धन के अभाव में घर का काम अधूरा पड़ा है । महिला संगठन क्योंथल की प्रधान गीता ठाकुर ने सीएम सुखविंद्र सिंह सुक्खू और ग्रामीण विकास मंत्री अनिरूद्ध सिंह से आग्रह किया है कि पात्र परिवार के साथ हो रहे पक्षपात की जांच की जाए और घर बनाने के लिए मदद दी जाए। किसान सभा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. कुलदीप तंवर ने कहा कि आजादी के 75 वर्ष बीत जाने के बाद भी यदि किसी परिवार को ढारे में जीवन यापन करना पड़े तो यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने परिवार को घर की योजना देने की सरकार से मांग की है। पीरन पंचायत के सचिव राजीव ठाकुर ने बताया कि पंचायत की ओर से नाम भेजा गया है। इधर, पंचायत प्रधान किरण शर्मा ने कहा कि इस परिवार का मामला विभाग को भेजा है। वहीं से इसे मंजूरी मिलेगी।


































