18 अप्रैल 2025 को वित्त मंत्रालय ने उन मीडिया रिपोर्ट्स को “पूरी तरह से झूठी और भ्रामक” करार दिया, जिनमें दावा किया गया था कि सरकार ₹2,000 से अधिक की यूपीआई (UPI) लेनदेन पर जीएसटी लगाने की योजना बना रही है। मंत्रालय ने अपने आधिकारिक बयान में स्पष्ट किया कि “वर्तमान में ऐसा कोई प्रस्ताव सरकार के विचाराधीन नहीं है।”
भ्रामक खबरों के अन्य उदाहरण
- “आधार कार्ड रद्द होने” की अफवाह: पिछले साल सोशल मीडिया पर यह दावा वायरल हुआ था कि सरकार बिना सूचना के लाखों आधार कार्ड रद्द कर रही है। UIDAI ने इसे खारिज करते हुए कहा कि आधार निष्क्रिय करने की प्रक्रिया पारदर्शी है और केवल विशिष्ट मामलों में ही लागू होती है, जैसे कि डुप्लिकेट या फर्जी पहचान।
- “सभी टोल प्लाजा बंद होने” का दावा: 2023 में कुछ खबरों में कहा गया कि सरकार ने सभी टोल प्लाजा बंद करने का फैसला किया है। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि ऐसी कोई योजना नहीं है, और टोल संग्रहण फास्टैग जैसी डिजिटल प्रणालियों के माध्यम से और अधिक कुशल बनाया जा रहा है।
- “पेट्रोल-डीजल पर जीएसटी” की गलत खबर: 2022 में यह दावा किया गया कि सरकार पेट्रोल और डीजल पर 28% जीएसटी लगाने जा रही है। वित्त मंत्रालय ने इसे भ्रामक बताते हुए कहा कि पेट्रोलियम उत्पाद अभी जीएसटी के दायरे में नहीं हैं और वैट/एक्साइज ड्यूटी के तहत ही कर लगाया जाता है।
सरकार का जवाब
वित्त मंत्रालय ने जनता से अपील की है कि वे ऐसी अफवाहों पर ध्यान न दें और केवल आधिकारिक स्रोतों, जैसे कि मंत्रालय की वेबसाइट या प्रेस सूचना ब्यूरो (PIB), से जानकारी प्राप्त करें। मंत्रालय ने यह भी कहा कि भ्रामक खबरें फैलाने वालों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी।
निष्कर्ष
यूपीआई पर जीएसटी की खबरें न केवल गलत थीं, बल्कि इनका मकसद जनता में भ्रम फैलाना था। सरकार ने समय रहते इन अफवाहों को खारिज कर दिया, लेकिन यह घटना इस बात की याद दिलाती है कि हमें अनधिकृत स्रोतों से प्राप्त जानकारी पर विश्वास करने से पहले उसकी सत्यता की जांच करनी चाहिए।


































