मेरठ समाचार उत्तर प्रदेश के मेरठ के अयोध्या में श्री राम मंदिर का निर्माण नागर शैली में हुआ है। प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम 22 जनवरी को होगा। इसी की तर्ज पर मेरठ में भी दो मंदिरों में मूर्ति और कलश स्थापना 22 जनवरी को होगा। सरस्वती लोक स्थित जागेश्वर धाम मंदिर और मेहताब स्थित बाबा कालेश्वर नाथ मंदिर को भी नागर शैली में तैयार किया गया हैं। इसमें द्रविड शैली और बैसर शैली का भी कुछ अंश देखा जा सकता है। विशाल मुख्य द्वार के साथ मंडप, अर्धमंडप शामिल हैं। सरस्वती लोक स्थित जागेश्वर धाम मंदिर को श्री सरस्वती प्रेम स्मृति ट्रस्ट द्वारा नागर शैली में बनाया गया है। इस मंदिर का मुख्य द्वार द्रविड शैली की तर्ज पर विशाल बनाया गया है। गर्भगृह से मुख्य द्वार तक नागर शैली की ही झलक देखने को मिलती है। मंदिर के चारों तरफ घास का मैदान छोड़ा गया है।
मंदिर के डिजाइन को स्वीकृति देने वाले पूज्य 108 स्वामी कनक प्रभानंद सरस्वती जी महाराज ने बताया कि मंदिर में नागर शैली की तरह पीठ, मंडप, शिखर, आमलक, कलश और ध्वज को स्थान दिया गया है। ध्वज के साथ त्रिशूल, डमरू, ऊं और नाग भी विराजमान होंगे। प्रदक्षिणा पथ को ढका गया है। गंगा और यमुना को स्थान दिया जाएगा। मंदिर के कपाट पर 12 ज्योर्तिलिंग के दर्शन होंगे। 22 जनवरी को शिव परिवार की स्थापना होगी। नागर शैली उत्तर भारत की तीन शैली में से एक है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, नागर शैली में बनाए गए मंदिर की पहचान का आधार सर्वोच्च अंश तक इसका चतुष्कोण होना है। पूज्य 108 स्वामी कनक प्रभानंद सरस्वती जी महाराज ने बताया कि मंदिर के सबसे ऊपर शिखर होता है।
मंदिर में दो भवन होते हैं। इसमें एक गर्भगृह और दूसरा मंडप। गर्भगृह ऊंचा होता है और मंडप छोटा होता है। गर्भगृह घंटाकार होने के कारण मंदिर की ऊंचाई काफी बढ़ जाती है। मेहताब स्थित बाबा कालेश्वर मंदिर में भी शिखर, आमलक, कलश और ध्वज के लिए स्थान छोड़ा गया है। मंदिर शिखर बनाने में लोहे के पाइप और शीशे का प्रयोग किया गया। पहली बार पश्चिम उत्तर प्रदेश में किसी मंदिर को बनाने में शीशे और लोहे का प्रयोग किया गया है। महामंत्री अमन गुप्ता ने बताया कि शिखर की ऊंचाई 101 फीट है।


































