कानपुर समाचार उत्तर प्रदेश के कानपुर में कोरोना संक्रमण के दुष्प्रभाव अब सामने आ रहे हैं। ड्राई कोल्ड के मौसम में नसें सिकुड़ने से स्थिति खराब हो रही है। जिन्हें कोरोना हुआ था, उनकी नसों की अंदरूनी परत मोटी हो गई है। इससे खून के प्रवाह में दिक्कत आने से थक्का जम जा रहा है। इससे हार्ट अटैक और ब्रेन अटैक के रोगी बढ़ रहे हैं। कार्डियोलॉजी की इमरजेंसी में 45 हार्ट अटैक के रोगी भर्ती किए गए। इनमें 21 से 25 साल के रोगी भी हैं। दो रोगियों की मौत हो गई। हैलट ओपीडी में हाई ग्रेड फीवर के 150 रोगी जोड़ों की दर्द की शिकायत लेकर आए।
एलपीएस कार्डियोलॉजी इंस्टीट्यूट के निदेशक डॉ. राकेश वर्मा ने बताया कि ओपीडी में 1008 रोगी आए। 60 रोगी इमरजेंसी में आए। इनमें 45 रोगी हार्ट अटैक के थे। उन्होंने बताया कि कोरोना संक्रमण से बीपी बढ़ने पर खून का थक्का जम जाता है।इसी तरह हैलट इमरजेंसी में शनिवार शाम तक ब्रेन अटैक के सात रोगी भर्ती किए गए। अचानक बीपी बढ़ जाने से इन्हें दिक्कत हुई है। इसके साथ ही ब्रेन अटैक से एक रोगी की मौत हुई है।
बर्रा के रहने वाले किरण कुमार (48) को सुबह अचानक बेहोशी आई। परिजनों का कहना है कि कुछ देर के बाद मौत हो गई। इसी तरह फजलगंज के अनिल (55) की हृदयाघात से मौत हुई है। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के न्यूरो साइंसेस प्रमुख डॉ. मनीष सिंह का कहना है कि 40 फीसदी ब्रेन अटैक के रोगी घर नहीं पहुंच पाते और मौत हो जाती है।
			





















		    











