झांसी न्यूज़ उत्तर प्रदेश के झांसी मे एग्रीकल्चर के बच्चो ने कालेज से पढ़कर खेती करने का एक अलग ही तरीका अपनाया आज के दौर मे खेती का काम इन्सानो के वजाय मशीने करती हे साइन्स ने एक से एक उपयोगी मशीने तैयार की हे इससे बहुत किसानो को फाइदा हुआ हे रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय की पहल ने दो हजार किसानों को मालामाल कर दिया। विवि द्वारा सिखाए गए सरसों फसल के प्रबंधन और तकनीक ने सरसों का उत्पादन आठ क्विंटल से 22 हजार क्विंटल प्रति हेक्टेयर कर दिया। एकाएक 14 गुना बढ़े उत्पादन से किसानों के चेहरे खिले हुए हैं।
अनुसूचित जाति उप योजना (एससीएसपी) के तहत उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के अनुसूचित जाति के किसानों के बीच सरसों उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय ने साल 2021-24 में प्रोजेक्ट तैयार किया । प्रोजेक्ट के तहत बुंदेलखंड के किसानों को सरसों उत्पादन के जरिए लाभ पहुंचाना है। शुरुआत में पांच सौ से अधिक किसानों को प्रोजेक्ट से जोड़ा गया और उन्हें सरसों उत्पादन के लिए प्रेरित किया गया। कृषि वैज्ञानिक ने बताया कि पहले किसानों का सरसों उत्पादन अधिकतम आठ क्विंटल प्रति हेक्टेयर था। प्रोजेक्ट से जुड़ने के बाद दो हजार किसानों ने विवि के वैज्ञानिकों से फसल प्रबंधन सीखा। इसके बाद उत्पादन में आश्चर्यजनक बढ़ोतरी प्राप्त की। इसके बाद सरसों का उत्पादन 22 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पहुंच गया। इसमें सबसे ज्यादा सफलता पाने वाले निवाड़ी जिले के किसान हैं।
कृषि वैज्ञानिक और प्रसार शिक्षा निदेशक डॉ. एसएस सिंह ने बताया कि सरसों उत्पादन में किसानों को तीन बातों का ध्यान रखना। सरसों की बुवाई सही समय सितंबर के अंतिम सप्ताह से अक्तूबर के पहले सप्ताह तक की। बुवाई के 35 से 40 दिन बाद सिंचाई की। साथ ही जो पौधे झुंड में उगे थे उन्हें फसल से अलग किया और माहू से फसल के बचाव के तरीके अपनाकर एक हेक्टेयर में 22 क्विंटल तक उपज पाई है। इसमें सल्फर का भी सही मात्रा में इस्तेमाल शामिल रहा है।


































