अभी कुछ समय पहले कन्नड़ सुपरस्टार पुनीत राजकुमार का बंगलोर में निधन हो गया, उसके पहले सिद्धार्थ शुक्ल का मुंबई में निधन हो गया, अभी हाल में में शेफाली जरीवाल का पुणे में निधन हो गया, ये सब हाई प्रोफाइल लोग थे जो अपने स्वास्थ एक आम नागरिक से ज्यादा सचेत और ध्यान देने वाले, लेकिन हृदय गति के कारण इनका निधन हुआ और आयु भी ज्यादा नहीं थी ऐसा क्या हुआ होगा इनके साथ.
आज हम में से अधिकतर लोग चलते-फिरते Bisleri, Kinley या किसी भी ब्रांड की पानी की बोतल खरीदते हैं। धूप में रखी दुकानों से पानी खरीदते हुए शायद ही कोई ये सोचता हो कि उस बोतल में बंद पानी वाकई हमारी प्यास बुझा रहा है या भीतर-ही-भीतर एक ज़हर हमारे शरीर में भर रहा है। सवाल उठता है — क्या प्लास्टिक की बोतलें, विशेषकर जो धूप में रखी जाती हैं, स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं? क्या ये दिल की बीमारियों जैसे हार्ट अटैक का कारण बन सकती हैं?
इस लेख में हम इस प्रश्न का उत्तर वैज्ञानिक तथ्यों, शोधों और दैनिक जीवन के अनुभवों के आधार पर ढूंढेंगे।
प्लास्टिक बोतलें: कैसे बनती हैं और किस लिए बनाई जाती हैं?
बाजार में जो बोतलें मिलती हैं, उन्हें आमतौर पर PET (Polyethylene Terephthalate) प्लास्टिक से बनाया जाता है। ये हल्की, सस्ती और एक बार उपयोग के लिए उपयुक्त मानी जाती हैं। लेकिन इनका निर्माण कभी भी बार-बार उपयोग या सूर्य की गर्मी सहने के लिए नहीं हुआ है।
PET प्लास्टिक पर जब अत्यधिक तापमान पड़ता है, तो उसमें से कुछ रासायनिक यौगिक पानी में घुल सकते हैं, जैसे:
- Antimony (Sb): एक भारी धातु जो उच्च ताप पर पानी में मिल सकती है
- BPA (Bisphenol A): कुछ सस्ते प्लास्टिक में पाया जाता है (हालांकि अधिकांश ब्रांड अब BPA-Free का दावा करते हैं)
सूर्य की किरणों से क्या होता है?
जब कोई PET बोतल घंटों या दिनों तक सूर्य की सीधी रोशनी में पड़ी रहती है — जैसे ट्रक में, सड़क किनारे, दुकान की खुली शेल्फ में — तब प्लास्टिक की संरचना में परिवर्तन आने लगता है।
तापमान + UV किरणें = रासायनिक लीचिंग
इस प्रक्रिया से Antimony और अन्य तत्व पानी में घुल जाते हैं। जब हम वह पानी पीते हैं, तो ये धीमे ज़हर की तरह हमारे शरीर में जाते हैं।
क्या ये हार्ट अटैक का कारण बन सकता है?
यह कहना कि “एक बोतल पानी पीते ही हार्ट अटैक हो जाएगा” — यह अतिशयोक्ति होगी। लेकिन यह कहना पूरी तरह सत्य है कि:
- इन हानिकारक रसायनों से हॉर्मोन गड़बड़ी, ब्लड प्रेशर बढ़ना, धमनियों में सूजन, और धमनियों का संकुचन हो सकता है — जो कि हार्ट अटैक का प्रमुख कारण है।
- लंबे समय तक ऐसा पानी पीने से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो सकती है।
- कुछ शोधों में antimony की उपस्थिति को फेफड़ों और हृदय संबंधी समस्याओं से जोड़ा गया है।
इसलिए यह एक धीमा ज़हर (slow poison) है — जो एक दिन में असर नहीं दिखाता, लेकिन साल-दर-साल आपकी सेहत को खोखला करता रहता है।
वैज्ञानिक रिपोर्ट्स और रिसर्च क्या कहती हैं?
- University of Heidelberg, Germany की एक रिपोर्ट में बताया गया कि सूर्य की रोशनी में रखी PET बोतलों में रखे पानी में antimony का स्तर अधिक पाया गया।
- WHO (World Health Organization) का मानना है कि PET बोतलें सुरक्षित हैं यदि उन्हें ठंडी और छायादार जगह पर संग्रहित किया जाए।
- Indian Institute of Toxicology Research की एक रिपोर्ट में यह स्पष्ट किया गया कि बार-बार उपयोग या गर्मी के संपर्क में आने से PET में रासायनिक रिसाव (leaching) बढ़ जाता है।
लोग क्या करते हैं गलत?
- प्लास्टिक बोतल को बार-बार भरकर इस्तेमाल करना
- धूप में पड़ी बोतल से ही पानी पीना
- गर्म पानी या दूध जैसे तरल प्लास्टिक बोतलों में डालना
- “सेल में सस्ता मिला” सोचकर एक्सपायरी डेट देखे बिना बोतल खरीदना
सावधानी ही सुरक्षा है – ये 5 बातें ध्यान रखें:
- 🌤️ सूर्य में रखी बोतल कभी न खरीदें या न पीएं
- ♻️ बोतलों को बार-बार उपयोग न करें
- 🧊 गर्मी या धूप में बोतल न छोड़ें, खासकर कार में
- 🧴 स्टील, ग्लास या BPA-Free बोतलें अपनाएं
- 📅 एक्सपायरी डेट और सील अवश्य जांचें
आज जब हम स्वास्थ्य और जीवनशैली पर अधिक सजग हो रहे हैं, तब हमें इस छोटे से दिखने वाले लेकिन बड़े खतरे को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। प्लास्टिक की बोतलों में बंद पानी ज़हर नहीं है, लेकिन जब वो बोतल धूप में पड़ी हो, बार-बार इस्तेमाल की जा रही हो, या बहुत समय से पुरानी हो — तब ये ज़हर बनने लगती है।
जीवन की प्यास बुझाने वाला पानी, कहीं ज़हर न बन जाए — ये फैसला आपके हाथ में है।