बिहार के पटना मे हनीमून पर दार्जिलिंग जा रही दुल्हन जब चल रही ट्रेन नई दिल्ली-न्यू जलपाईगुड़ी सुपरफास्ट एक्सप्रेस (12524 से गायब हुई तो रेल महकमे में सनसनी फैल गई। अपहरण या हादसे की आशंका से रेल सुरक्षा बल और राजकीय रेल पुलिस के साथ रेलवे के अफसरों में भी हड़कंप मच गया। अपहरण या हादसे की आशंका को देखते हुए ‘अमर उजाला’ ने इस खबर का लगातार न केवल पीछा किया, बल्कि सबसे पहले और सिर्फ सच्ची बात सामने लायी। अब दुल्हन मायके में है और पति अपने घर में। मायके वाले ही उसे लाने गुरुग्राम गए, पति ने सूचना के बावजूद नहीं जाना उचित समझा। क्यों? दुल्हन ने अनबन की बात कही थी, लेकिन दोनों के बीच क्या बहुत बड़ा संग्राम मचा है? क्या दुल्हन के कॉल रिकॉर्ड से किसी चक्कर की आशंका सामने आयी है? आखिर बात क्या है, लोग अब यह जानना चाहते हैं। तो, जान लीजिए कि पति-पत्नी के अनुसार यह उनके घर की कहानी है और मनोवैज्ञानिकों की राय में यह घर-घर की कहानी है।दुल्हन काजल 28 जुलाई को पति के साथ मुजफ्फरपुर में ट्रेन पर सवार हुई। 29 जुलाई को पति ने उसके गायब होने की जानकारी दी और आशंका जाहिर की कि नशाखुरानी गिरोह ने अगवा कर लिया है। 30 जुलाई की सुबह यह खबर सामने आयी। इस खबर और इसके बाद से लगातार ‘अमर उजाला’ सबसे पहले और सही खबर सामने लाता रहा। गुरुग्राम में बरामदगी के पहले वह मकान ढूंढ़ रही थी। पास में करीब दो हजार रुपये थे। मोबाइल नहीं था। डीएलएफ फेज 3 थाने के नाथूपुर चौकी के हवाले जब उसे किया गया तो उसने पुलिसिया पूछताछ में अपने पिता का मोबाइल नंबर देकर कहा कि पिताजी को बुला दीजिए। उसने पति का न तो नंबर दिया, ना ही बुलाने के लिए कहा। यह सब गुरुग्राम में हो रहा था। इधर रेल पुलिस उसके कॉल रिकॉर्ड को खंगाल कर पति से पुष्टि करा चुकी थी कि काजल के मोबाइल में किसी संदिग्ध रिश्ते का नंबर नहीं है। जीआरपी किशनगंज थानाध्यक्ष नितेश कुमार ने कहा- “पति ने पहले भी ऐसी आशंका से इनकार किया था और नंबर भी नहीं मिला। कॉल डिटेल्स में किसी संदिग्ध नंबर से बातचीत का डाटा नहीं मिला। ससुराल और मायके वालों से ही बातों का रिकॉर्ड था। दो-तीन नंबर काजल की सहेलियों के ही मिले।” मतलब, किसी के साथ नहीं भागी थी। काजल बिहार लौटी तो उसने बयान दिया कि पति से अनबन के कारण वह ट्रेन से उतरी थी। फिर दूसरी ट्रेन में बैठने के दौरान मोबाइल गिर गया। उस ट्रेन से वह दिल्ली पहुंच गई। वहां से गुरुग्राम। पुलिस ने काजल से अनबन की वजह पूछी तो उसने बताया कि घरेलू बात है। मतलब, उतनी भी बड़ी बात नहीं।मानसिक विशेषज्ञों ने बताया कि कैसे यह समस्या आम हो गई है और क्या समाधान कैसे निकला जा सकता है बिजली कंपनी में कार्यरत सोनू कुमार ने किशनगंज राजकीय रेल पुलिस को पहले बयान दिया, फिर लिखित आवेदन में पत्नी के अपहरण की आशंका जताई थी। सोनू ने पुलिस से किसी भी समय बातचीत में यह आशंका नहीं जताई कि घर या ट्रेन में कोई ऐसी अनबन हुई, जिसके कारण काजल ट्रेन से उतर गई होगी। काजल के गुरुग्राम में मिलने की जानकारी के बाद जब जीआरपी थानाध्यक्ष ने सोनू कुमार को गुरुग्राम चलने कहा तो उसने कहा कि जब उसके पिताजी जा रहे हैं तो मेरा जाना सही नहीं होगा। उन्हें बुलाया है, वह पहले समझ लें। बिहार आएगी तो मिलूंगा। आप उन्हीं को ले जाएं। सोनू को पुलिस ने तबतक यह नहीं बताया कि काजल ने पति के साथ नहीं रहने की बात कही है। ‘अमर उजाला’ ने कई बार सोनू से संपर्क किया, तब जाकर उन्होंने कहा कि यह पूरी तरह घरेलू और छोटी-सी बात है, जिसका सार्वजनिक होना जरूरी नहीं। किशनगंज जीआरपी ने भी पूछा तो नहीं बताया। हां, ट्रेन में कोई विवाद नहीं हुआ था और ऐसी आशंका भी नहीं थी कि ट्रेन में मेरे सोने के बाद काजल उतर जाएगी। सोनू ने कहा- “काजल अपने घर गई है और एक हफ्ते में जब स्थिति कुछ नॉर्मल हो जाएगी तो उसे मनाकर ले आऊंगा। फिलहाल मेरी भी मनःस्थिति ठीक नहीं है, इसलिए ज्यादा कुछ नहीं बोल सकता।” अपहरण की आशंका वाली खबर चूंकि वायरल हो गई और जिस तरह से पूरे घटनाक्रम का अंत काजल की उस तरह बरामदगी से हुआ, हर कोई जानना चाहता है कि ऐसे केस में क्या होगा या क्या करना चाहिए? ‘अमर उजाला’ को सोशल मीडिया पर सार्वजनिक रही सोनू-काजल और इनके परिवारजनों की कई तस्वीरें मिलीं। इनमें से हम सिर्फ बस एक प्रमाण के लिए प्रकाशित कर रहे हैं कि इन दोनों के बीच ऐसी कोई अनबन होती तो शादी के अगले महीने, मार्च में ऐसी तस्वीरें नहीं दिखती। कुछ बातें होंगी, जो निजी हैं इसलिए दोनों में से कोई नहीं बता रहा। ऐसी परिस्थितियों पर मनोविज्ञान के विशेषज्ञ साफ कहते हैं कि “शादी के शुरुआती कुछ महीनों और कई केस में साल, दो साल तक एक-दूसरे को समझने में चले जाते हैं। खासकर लड़की या लड़का, या दोनों ही अपरिपक्व उम्र या परिस्थिति के हों तो। अगर शादी जबरन नहीं करायी गई हो तो समझ-बूझ विकसित होने के बाद ऐसी अनबन का आपस में बैठकर समाधान हो जाता है। कई बार अभिभावकों को बीच में उतरना पड़ता है, लेकिन ध्यान रखना चाहिए कि अगर बेहद आपत्तिजनक कुछ नहीं हो तो सकारात्मक माहौल में ऐसे मामलों का समाधान आसानी से हो जाता है। खुद न हो तो विशेषज्ञ के जरिए। शादी आपसी विश्वास का बंधन है और भारत में इसे जन्म-जन्म का माना जाता है, इसलिए अनबन को बढ़ाने की जगह यथांसभव और यथाशीघ्र खत्म किया जाना चाहिए। पुलिस मामले की जांच कर रही हे


































