गोरखपुर समाचार उत्तर प्रदेश के गोरखपुर मे दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में फाइलों के निस्तारण में अब अधिकारियों और बाबुओं की हीलाहवाली नहीं चल सकेगी। विश्वविद्यालय प्रशासन जल्द फाइल ट्रैकिंग सुविधा प्रारंभ करने जा रहा है। यह सिस्टम लागू होने से फाइल के ऑनलाइन होने के साथ किस अधिकारी या बाबू के पास फाइल कबसे पड़ी है। इसके बाद उनकी जवाबदेही तय की जाएगी। गोरखपुर विश्वविद्यालय में अभी फाइलों का मुवमेंट मैनुअली होने के चलते विश्वविद्यालय के विभागों, संबद्ध कॉलेज एवं विद्यार्थियों को आवेदन करने के बाद प्रशासनिक भवन का चक्कर लगाना पड़ता है। पहले उन्हें यह पता लगाने में काफी दिक्कत होती है कि उनकी फाइल किस अधिकारी या बाबू के पास है। फाइल के अधिक समय होने के बाद उसका पता लगाना मुश्किल होता है।
फाइलों के निस्तारण को लेकर शिकायत आए दिन कुलपति के पास पहुंच रही थी। इसे देखते हुए उन्होंने फाइलों को ऑनलाइन करने के साथ फाइल ट्रैकिंग सिस्टम प्रारंभ करने की योजना बनाई है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने इसकी प्रक्रिया प्रारंभ कर दी है। विश्वविद्यालय में डिग्री का आवेदन कर अभ्यर्थी को पांच से छह महीने तक चक्कर लगाना पड़ता है। कुछ दिन पहले दो माह बाद भी डिग्री नहीं मिलने पर एक युवक ने अर्धनग्न होकर धरना-प्रदर्शन किया था। मामला उजागर होने के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन डिग्री और प्रोविजनल समेत अन्य सुविधाओं को भी ऑनलाइन करने की तैयारी में जुट गया है। फाइल ट्रैकिंग सिस्टम लागू होने के बाद विश्वविद्यालय से जुड़े शोधार्थियों को भी इसका लाभ मिलेगा।
शोध की फाइल सम्मिट करने के बाद उन्हें चक्कर लगाना पड़ता है। अब उनकी शोध फाइल का आवेदन भी ऑनलाइन होगा। समय सीमा के अंदर फाइल का निस्तारण नहीं करने पर जिम्मेदार की जवाबदेही तय होगी कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने कहा कि फाइलों के निस्तारण में लापरवाही न हो इसको लेकर फाइल ट्रैकिंग सिस्टम लागू किया जाएगा। इसकी प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। फाइल किस पटल पर कहां और कबसे है, अब इसकी जानकारी आसानी से हो जाएगी।


































