उत्तर प्रदेश जैसे विशाल राज्य में जब भी कोई सरकार आती है, उसके विकास मॉडल और प्राथमिकताओं की चर्चा ज़रूर होती है। मायावती जी जब 2007 से 2012 तक पूर्ण बहुमत के साथ मुख्यमंत्री बनीं, तब उन्होंने ‘सर्वजन हिताय-सर्वजन सुखाय’ का नारा दिया और बड़े पैमाने पर पार्क, स्मारक, सड़क, शिक्षा और आवास के क्षेत्र में घोषणाएं कीं। लेकिन सवाल उठता है — क्या यह विकास समान रूप से हुआ? या कुछ विशेष जिलों और जातीय आधार पर केंद्रित रहा?
किन जिलों में हुआ सबसे अधिक विकास?
1. लखनऊ – सत्ता का केंद्र, स्मारकों का शहर
- डॉ. भीमराव आंबेडकर स्मारक, कांशीराम स्मृति उपवन, मायावती पार्क, आंबेडकर भवन जैसे बड़े निर्माण यहीं हुए।
- गोमतीनगर और रायबरेली रोड जैसे इलाकों में इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट तेज़ी से हुआ।
2. गौतम बुद्ध नगर (नोएडा–ग्रेटर नोएडा)
- यमुना एक्सप्रेसवे का शिलान्यास व निर्माण इसी कार्यकाल में हुआ।
- फिल्म सिटी, बुद्ध इंटरनेशनल सर्किट (F1 रेसिंग ट्रैक) जैसे प्रोजेक्ट्स की शुरुआत।
- नोएडा को “ब्रांडेड सिटी” के रूप में बढ़ावा मिला।
3. सहारनपुर–मेरठ ज़ोन
- पश्चिमी उत्तर प्रदेश में दलित आबादी अधिक होने के कारण यहाँ पर कई योजनाओं को प्राथमिकता दी गई।
- कांशीराम आवास योजना के अंतर्गत सैकड़ों परिवारों को मकान मुहैया कराए गए।
4. अंबेडकर नगर
- यह जिला खुद मायावती के नाम के साथ जुड़ा रहा।
- यहाँ पर मेडिकल कॉलेज, पार्क और सामुदायिक भवनों का निर्माण बड़े पैमाने पर हुआ।
5. कुशीनगर–देवरिया
- बुद्ध पर्यटन सर्किट को विकसित करने की दिशा में कदम उठाए गए।
- सड़क संपर्क, विशेष रूप से गोरखपुर–कुशीनगर हाइवे का उन्नयन हुआ।
और कौन-कौन से गाँव या कस्बे जुड़े इस विकास से?
- दल्लूपुर, रायबरेली – यहाँ दलित बस्तियों में आवास योजना के तहत लाभ मिला।
- खुर्जा, बुलंदशहर – सड़क और ड्रेनेज की योजनाएं लागू हुईं।
- फतेहपुर, बाराबंकी – स्कूलों की दशा सुधरी, आंगनबाड़ी केंद्रों में नियुक्तियाँ हुईं।
- बांदा–चित्रकूट क्षेत्र – बुंदेलखंड पैकेज का लाभ, लेकिन भ्रष्टाचार के आरोप भी लगे।
योजनाएं जो मायावती सरकार में चर्चा में रहीं:
| योजना का नाम | उद्देश्य | कहाँ-कहाँ लागू |
|---|---|---|
| कांशीराम आवास योजना | गरीब दलितों के लिए मुफ्त आवास | लखनऊ, मेरठ, सहारनपुर, कानपुर |
| स्मारक और पार्क विकास | दलित नायकों की स्मृति में निर्माण | लखनऊ, नोएडा, अंबेडकर नगर |
| बुद्ध सर्किट विकास योजना | बौद्ध पर्यटन को बढ़ावा | कुशीनगर, श्रावस्ती, सारनाथ |
| SC/ST स्कॉलरशिप योजना | दलित छात्रों को छात्रवृत्ति | प्रदेशभर के सरकारी स्कूल-कॉलेज |
| राजकीय आश्रम पद्धति विद्यालय | अनुसूचित जाति के बच्चों के लिए स्कूल | 50+ जिलों में |
आलोचना और विवाद:
- केंद्रित विकास: आलोचकों का कहना था कि विकास केवल दलित स्मारकों और उनके आसपास के क्षेत्रों तक सीमित था।
- स्मारकों पर खर्च: करोड़ों रुपये पार्कों और मूर्तियों पर खर्च हुए, जिससे “bread vs statue” की बहस शुरू हुई।
- भ्रष्टाचार के आरोप: आवास योजनाओं में भ्रष्टाचार की शिकायतें कई जिलों में मिलीं।
- वास्तविक परिवर्तन या प्रतीकवाद? – कई बार यह सवाल उठा कि क्या ये योजनाएं दीर्घकालिक परिवर्तन लाईं या केवल प्रतीकात्मक थीं?
क्या यह जाति आधारित विकास था?
यह कहने से इनकार नहीं किया जा सकता कि मायावती सरकार का प्रमुख फोकस दलित समुदाय की प्रतीकात्मक पहचान को सशक्त करना था।
हालाँकि ‘सर्वजन हिताय’ का नारा दिया गया, लेकिन अधिकांश योजनाएं जाति-आधारित लक्ष्य समूहों पर ही केंद्रित रहीं।
लेकिन साथ ही, यह भी सत्य है कि इन क्षेत्रों में कई परिवारों को आवास, बिजली, शिक्षा और पेंशन जैसी बुनियादी सुविधाएं मिलीं।
निष्कर्ष: सिर्फ मूर्तियाँ नहीं, कुछ बदलाव भी हुए थे
मायावती जी के शासनकाल को केवल मूर्तियों और पार्कों से जोड़ना एकतरफा होगा।
उन्होंने अपने वोटबैंक को सामाजिक सम्मान और राजनीतिक पहचान दिलाने की कोशिश की — जो अपने-आप में एक प्रकार का विकास था।
हाँ, यह विकास सीमित और प्रतीकात्मक रहा, लेकिन उन वर्गों के लिए पहली बार कोई सरकार संवेदनशील और प्रतिबद्ध दिखी।
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