उत्तर प्रदेश के औरैया जिले में कोटा बैराज से छोड़े गए तीन लाख क्यूसेक पानी से बुधवार की दोपहर शेरगढ़ में यमुना खतरे के निशान को पार कर गई। इससे यमुना की तलहटी के गांवों में पानी घुस गया। चार दिन पहले राजस्थान के कोटा बैराज से चंबल नदी में तीन लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया था। चंबल का दायरा कम होने से पचनद के संगम से यह पानी यमुना में पहुंचा है। इससे यमुना का जलस्तर लगातार बढ़ रहा। मंगलवार की शाम जुहीखा में यमुना जलस्तर खतरे से करीब एक मीटर ऊपर पहुंच गया था। इससे गौहानी कलां, बड़ेरा और सिकरोड़ी गांव में पानी घुसने से इन गांवों का संपर्क टूट चुका है। जिला व तहसील प्रशासन ने यहां बाढ़ राहत चौकियां स्थापित कर लोगों को सुरक्षित पहुंचाने का काम शुरू किया है।
वहीं, लगातार पानी की रफ्तार बढ़ने से बुधवार की दोपहर एक बजे तक शेरगढ़ घाट पर जलस्तर खतरे का निशान को पार कर गया। केंद्रीय जल आयोग के मुताबिक जिस रफ्तार से पानी बढ़ रहा है। उससे अभी दो दिन तक राहत मिलने के आसार कम नजर आ रहे हैं। उधर, यमुना की तलहटी में बसे गांवों में बाढ़ के हालात और बिगड़ने की आशंका बढ़ गई है। इसका असर सबसे ज्यादा अजीतमल तहसील के यमुना पट्टी के गांवों में दिखाई दे रहा है। औरैया तहसील के अयाना क्षेत्र में बसे कुछ गांव के लोग बाढ़ की आशंका से भयभीत हैं। मई अस्ता गांव के संपर्क मार्गों तक पानी पहुंच गया है। अजीतमल के 12 व सदर तहसील के अस्ता व नौरी गांव बाढ़ से घिर गए हैं।
मई व अस्ता संपर्क मार्ग पर दो फुट तक पानी भर गया है। अनुमान लगाया जा रहा है कि दो दिन में हालात और बिगड़ सकते हैं। पानी की रफ्तार इतनी तेज है कि पुल के आसपास की अड्डी व जमा मिट्टी में कटान शुरू हो गया। श्मशान घाट पूरी तरह डूब गया है। नगर पालिका द्वारा बनवाए गए शवदाह स्थलों के आसपास पानी भर गया है। लोगों को शव का अंतिम संस्कार करने में मुश्किल हो रही। लोगों को यमुना से काफी दूर अंतिम संस्कार करने का इंतजाम करना पड़ रहा है।