हाल ही में (22 April 2025) कश्मीर (City in Jammu Kashmir) के पहलगाम (अनन्तनाग ज़िले) में पर्यटकों पर हुए आतंकी हमले ने एक बार फिर दुनिया का ध्यान आतंकवाद की गंभीर समस्या की ओर खींचा है। यह हमला न केवल भारत के लिए, बल्कि वैश्विक सुरक्षा व्यवस्था के लिए भी एक चेतावनी है। आइए, इस घटना को वैश्विक परिप्रेक्ष्य में समझने की कोशिश करते हैं।
आतंकवाद: कोई देश नहीं है सुरक्षित
इजरायल, जिसकी सुरक्षा एजेंसी को दुनिया की सबसे मजबूत माना जाता है, वह भी आतंकी हमलों से नहीं बच सका। 7 अक्टूबर 2023 की रात हमास के आतंकियों ने इजरायल में घुसकर नरसंहार मचाया। उन्होंने घर-घर जाकर लोगों को मारा, बच्चों और महिलाओं को अगवा किया, और उन्हें सुरंगों में छिपाकर रखा। यह एक ऐसी रात थी, जिसने इजरायल की सुरक्षा व्यवस्था की कमजोरियों को उजागर कर दिया।
इसी तरह, अमेरिका, जिसकी खुफिया और सुरक्षा एजेंसियां दुनिया में सबसे उन्नत मानी जाती हैं, 11 सितंबर 2001 को आतंकी हमले का शिकार हुआ। आतंकियों ने हवाई जहाज हाईजैक कर वर्ल्ड ट्रेड सेंटर को निशाना बनाया, जिसने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया।
ये उदाहरण बताते हैं कि दुनिया का कोई भी देश यह दावा नहीं कर सकता कि वह आतंकी हमलों से पूरी तरह सुरक्षित है। आतंकी हमले को रोकना उतना ही मुश्किल है, जितना हॉकी के मैच में हर गोल को रोकना। अगर सामने वाली टीम बार-बार आपके गोलपोस्ट पर हमला कर रही है, तो चाहे आपका डिफेंस कितना भी मजबूत हो, गोल होने की संभावना हमेशा बनी रहती है। आतंकी अगर एक रास्ता बंद होता देखते हैं, तो वे दूसरा रास्ता ढूंढ लेते हैं—कभी हवाई जहाज, कभी गाड़ी, तो कभी पैदल घुसकर हमला।
भारत का संदर्भ: कश्मीर और पहलगाम
भारत का कश्मीर क्षेत्र आतंकवाद का पुराना शिकार रहा है। पहलगाम जैसे पर्यटन स्थल, जहां हजारों लोग हर साल घूमने आते हैं, आतंकियों के लिए आसान निशाना बन जाते हैं। भारत-पाकिस्तान की हजारों किलोमीटर लंबी सीमा पर हर इंच की निगरानी करना असंभव है। कश्मीर में ऐसे हजारों स्थान हैं, जहां निहत्थे पर्यटक आसानी से निशाना बन सकते हैं। सेना हर जगह तैनात नहीं हो सकती, और आतंकी कई बार सेना पर भी हमला कर चुके हैं।
पहलगाम का हालिया हमला इसी बात का सबूत है कि आतंकी कमजोर पड़ने के बजाय नए तरीके ढूंढ रहे हैं। यह हमला न केवल पर्यटकों के लिए, बल्कि भारत की सुरक्षा व्यवस्था के लिए भी एक चुनौती है।
जवाबी कार्रवाई: बदला ही जवाब है
आतंकवाद से निपटने का सबसे बड़ा सबक यह है कि केवल रक्षा करना काफी नहीं है। इजरायल और अमेरिका ने अपने ऊपर हुए हमलों का जवाब कड़ा दिया। इजरायल ने 1300 लोगों की हत्या का बदला हजारों की संख्या में लिया और आज भी ले रहा है। अमेरिका ने 9/11 के बाद अफगानिस्तान में अल-कायदा के खिलाफ व्यापक अभियान चलाया। इन देशों ने दिखाया कि आतंकियों को डराने का एकमात्र तरीका है—उनके हमले का जवाब इतनी ताकत से देना कि वे दोबारा हमला करने से पहले लाख बार सोचें।
भारत को भी यही रास्ता अपनाना होगा। कश्मीर में बार-बार होने वाले हमले बताते हैं कि केवल सुरक्षा बढ़ाना काफी नहीं है। आतंकियों को यह संदेश देना होगा कि हर हमले का जवाब इतना करारा होगा कि उनकी रूह कांप जाए।
निष्कर्ष
पहलगाम का हमला एक बार फिर हमें याद दिलाता है कि आतंकवाद वैश्विक समस्या है, और इससे निपटने के लिए कठोर और त्वरित जवाबी कार्रवाई जरूरी है। भारत को अपनी सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत करना होगा, लेकिन साथ ही यह भी सुनिश्चित करना होगा कि आतंकियों को उनकी हरकत की कीमत चुकानी पड़े। जैसा कि इजरायल और अमेरिका ने किया, भारत को भी अपने गोलपोस्ट की रक्षा के साथ-साथ सामने वाली टीम के गोलपोस्ट पर जोरदार हमला बोलना होगा। तभी आतंकी अगली बार भारत में घुसने से पहले लाख बार सोचेंगे।


































