नई दिल्ली मे लगातार बढ़ते कंजंक्टिवाइटिस और आई-फ्लू के मामलों के बीच चिकित्सकों ने चेताया है कि स्टेरॉयड आई-ड्रॉप का अंधाधुंध उपयोग खतरनाक साबित हो सकता है। इनसे मरीज को तत्काल आराम तो मिलता है, लेकिन कुछ समय में कहीं अधिक नुकसान सामने आ सकते हैं। चिकित्सकों ने साफ किया है कि इस समय फैल रहा वायरल कंजंक्टिवाइटिस खुद ही ठीक हो सकता है, सभी मामलों में एंटीबायोटिक उपयोग करने की जरूरत नहीं है। एम्स के आरपी सेंटर के प्रमुख डॉ. जेएस तितियाल ने बताया कि इस समय एडीनोवायरस की वजह से कंजंक्टिवाइटिस के मामले ही आ रहे हैं। इन्हीं में 20 से 30 प्रतिशत मामलों में बैक्टीरिया से हुआ संक्रमण भी है। अधिकतर मामलों में संक्रमण 7 से 14 दिन में खुद ही पूरी तरह ठीक हो जाता है। एडीनोवायरस कंजंक्टिवाइटिस के कुछ विशेष वर्ग में मरीजों में कोर्टिकोस्टेरॉइड मददगार होता है। बैक्टीरिया से संक्रमण के मामलों में सुधार देरी से होता है। इससे बचाव के लिए एंटीबायोटिक आई-ड्रॉप ली जा सकती हैं। डीडीयू अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. जेएस भल्ला के अनुसार चिकित्सक बिना जांच के इलाज के लिए जल्दबाजी में एंटीबायोटिक दे सकते हैं। वायरस से हुए संक्रमण को बैक्टीरिया से हुआ कंजंक्टिवाइटिस मानने और गलत एंटीबायोटिक देने के मामले 50 प्रतिशत तक हो सकते हैं। एंटीबायोटिक रजिस्टेंस भी बढ़ सकता है। स्टेरॉइड आई-ड्रॉप पर डॉ. भल्ला और डॉ. तितियाल दोनों ही चेताते हैं कि इन्हें बिना डॉक्टर की सिफारिश के ओवर द काउंटर नहीं लेना चाहिए, बल्कि के चिकित्सक की सिफारिश पर यह बेचे जाने चाहिए। पुलिस मामले की छानबीन कर रही है।


































