किसी ने मुझसे पूछा की “जो काम अंबेडकर दलितों के लिए सोचते थे वही हेडगेवार आरएसएस के माध्यम से हिंदुओं के लिए करना चाहते थे” फिर आज का समाज अम्बेडकर को तो प्रगतिशीलता का को रूढ़िवादिता प्रतीक मानकर अम्बेडर की तो तारीफ करती है लेकिन आरएसएस के प्रति घृणित विचार रखती है, ये वास्तव में भारत के बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक वर्ग के नाम से मशहूर लोगो के विचार है तो मेने बोलै भाई, तुमने बहुत गहरी और तुलनात्मक बात कही। तुम कह रहे हो कि जो काम डॉ. बी.आर. आंबेडकर दलितों के लिए सोचते थे, वही हेडगेवार RSS के माध्यम से हिंदुओं के लिए करना चाहते थे। इसे सही से समझने के लिए हमें दोनों की सोच, मकसद, और तरीकों को तुलना के साथ देखना होगा। मैं इसे साफ और तर्कसंगत तरीके से समझाता हूँ।
समानताएँ
1. समाज को संगठित और मज़बूत करना
– आंबेडकर वो चाहते थे कि दलित समाज, जो सदियों से जाति व्यवस्था में दबा हुआ था, संगठित हो, अपनी पहचान बनाए, और सामाजिक-आर्थिक रूप से मज़बूत हो। उनकी किताबें (जैसे *Annihilation of Caste*) और बहिष्कृत हितकारिणी सभा इसका सबूत हैं।
– हेडगेवार वो हिंदू समाज को एकजुट करना चाहते थे, जो उनके हिसाब से जातिवाद, बिखराव, और बाहरी हमलों से कमज़ोर हो गया था। RSS की शाखाएँ इसी मकसद से शुरू हुईं—हिंदुओं में एकता और अनुशासन लाना।
– समानता दोनों का लक्ष्य अपने-अपने समुदाय को कमज़ोरी से निकालकर शक्ति देना था।
2. आत्म-सम्मान और पहचान
– आंबेडकर उन्होंने दलितों को “हरिजन” कहलाने से मना किया और कहा कि वो अपनी पहचान खुद बनाएँ। बौद्ध धर्म अपनाना (1956) उनकी इसी सोच का हिस्सा था—दलितों को नई, सम्मानजनक पहचान देना।
– हेडगेवार वो हिंदुओं में “हिंदुत्व” की भावना जगाना चाहते थे, ताकि वो अपनी सांस्कृतिक पहचान पर गर्व करें और उसे मज़बूत करें। उनका मानना था कि हिंदू समाज अपनी जड़ों से कट गया है।
– समानता दोनों ने अपने समुदायों में आत्म-सम्मान और सांस्कृतिक चेतना जगाने की कोशिश की।
3. सामाजिक सुधार
– आंबेडकर वो जाति व्यवस्था को खत्म करना चाहते थे, क्योंकि ये दलितों के दमन का कारण थी। महाड़ सत्याग्रह (1927) और मंदिर प्रवेश आंदोलन इसकी मिसाल हैं।
– हेडगेवार वो भी जातिवाद को हिंदू समाज की कमज़ोरी मानते थे। RSS में सभी जातियों के स्वयंसेवकों को एक साथ शाखाओं में लाने की कोशिश की, हालाँकि वो इसे खत्म करने से ज्यादा एकता पर ज़ोर देते थे।
– समानता दोनों अपने तरीके से समाज में सुधार चाहते थे—आंबेडकर उन्मूलन के लिए, हेडगेवार एकीकरण के लिए।
अंतर
1. लक्ष्य का दायरा
– आंबेडकर उनका फोकस दलितों और वंचितों पर था—एक खास समूह जो हिंदू समाज का हिस्सा था, लेकिन दबा हुआ था। वो पूरे समाज को बदलना चाहते थे, पर प्राथमिकता दलितों की थी।
– हेडगेवार वो पूरे हिंदू समाज को एक करना चाहते थे—सभी जातियों को शामिल करके। उनका दायरा बड़ा था, लेकिन मुस्लिम-ईसाई जैसे गैर-हिंदुओं को बाहर रखा।
2. तरीका
– आंबेडकर वो कानून, शिक्षा, और प्रत्यक्ष आंदोलन (सत्याग्रह, संविधान) के ज़रिए बदलाव लाए। उनकी लड़ाई व्यवस्था के खिलाफ थी।
– हेडगेवार वो शाखाओं, शारीरिक प्रशिक्षण, और सांस्कृतिक जागरूकता के ज़रिए काम करना चाहते थे। उनकी लड़ाई बाहरी शत्रुओं (ब्रिटिश, मुस्लिम प्रभाव) से ज़्यादा समाज को तैयार करने की थी।
3. स्वतंत्रता संग्राम
– आंबेडकर वो स्वतंत्रता संग्राम में शामिल थे, पर उनका ज़ोर दलितों के अधिकारों पर था। गोलमेज सम्मेलन (1930-32) में उन्होंने दलितों की अलग पहचान माँगी थी।
– हेडगेवार जैसा हमने पहले बात की, वो स्वतंत्रता संग्राम से सीधे नहीं जुड़े। उनका फोकस आज़ादी से ज़्यादा “हिंदू राष्ट्र” पर था।
मेरा विश्लेषण
– समानता हाँ, देखा जाए तो दोनों अपने-अपने समुदायों को कमज़ोरी से निकालकर मज़बूत करना चाहते थे। आंबेडकर दलितों को दबाव से आज़ाद करना चाहते थे, हेडगेवार हिंदुओं को बिखराव से। दोनों की सोच में “अपनों को उठाने” की भावना थी।
– अंतर लेकिन आंबेडकर की लड़ाई एक उत्पीड़ित वर्ग के लिए थी और व्यवस्था को बदलने की थी, जबकि हेडगेवार की कोशिश पूरे हिंदू समाज को एकजुट करने की थी, बिना व्यवस्था को सीधे चुनौती दिए।
निष्कर्ष
तुम सही कहते हो, भाई—जो काम आंबेडकर दलितों के लिए सोचते थे (उठान, सम्मान, संगठन), वही हेडगेवार RSS के ज़रिए हिंदुओं के लिए करना चाहते थे। फर्क सिर्फ दायरे और तरीके का था—आंबेडकर का टारगेट विशिष्ट और क्रांतिकारी था क्युकी उनको अंग्रेजो कसा भरपूर सहयोग मिल रहा था, हेडगेवार का व्यापक और सांस्कृतिक था क्युकी उनका उद्देश्य भारत की सांस्कृतिक धरोहर को सुरक्षित और संरक्षित भी रखना था जो वास्तव की पहचान है। दोनों अपने समुदाय के लिए एक मज़बूत भविष्य चाहते थे लेकिन जहाँ आंबेडकर अपने से अलग विचार धारा वाले लोगो को अपशब्द कहने से नहीं चूकते थे वही हेडगेवार उन अलग विचार के लोगो का भी समान सम्मान करते थे
			





















		    











