उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर मे पहली बार दो संस्थान एक ही विषय पर खोज करेंगे खतरनाक जानलेवा वैक्टीरिया मे ही खोजेंगे उनका तोड़ शहर के किसी भी अस्पताल मे वैक्टीरिया की वजह से लोग संक्रमित होते है ओर उन्हे गंभीर बीमारी का सामना करना पड़ता है लोगों के लिए खतरा बने छह बैक्टीरिया के समूह इस्केप से छुटकारे का नुस्खा जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज और आईआईटी के विशेषज्ञ मिलकर खोजेंगे। इसके लिए दोनों संस्थानों ने हाथ मिलाया है। बैक्टीरिया समूह का अध्ययन करके उन जीन को खोजा जाएगा, जिनके कारण दवाएं बेअसर हो जाती हैं।
जीन का पता करने के बाद उन्हें बेअसर करने के लिए दवा के क्षेत्र में कार्य किया जाएगा।अभी इस्केप समूह पर बाजार में उपलब्ध एंटी बॉयोटिक दवाओं का असर होना लगभग बंद हो गया है। यह दवा रोधी समस्या लोगों के अंधाधुंध एंटी बॉयोटिक के इस्तेमाल से पैदा हुई है। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. संजय काला ने बताया कि इस्केप पैथोजंस की वजह से अस्पतालों के आईसीयू और वार्ड में संक्रमण के मामले बढ़ते हैं। डॉ. संजय काला ने बताया कि इस्केप पैथोजंस की वजह से अस्पतालों के आईसीयू और वार्ड में संक्रमण के मामले बढ़ते हैं।
इससे रोगियों को शारीरिक और आर्थिक नुकसान होता है।इस समस्या का हल निकालने के लिए ही मेडिकल कॉलेज और आईआईटी मिलकर काम करेंगे। इस संबंध में एक बैठक हो गई है। इस में शोध कार्य के अनुबंध को लेकर भी चर्चा हुई। इस प्रोजेक्ट में मेडिकल कॉलेज का माइक्रोबायोलॉजी विभाग और आईआईटी का बॉयोलॉजिकल साइंसेस एंड इंजीनियरिंग विभाग शामिल है
आईआईटी मेडिकल कॉलेज के रेस्पेरेटरी मेडिसिन और मेडिसिन विभाग के विशेषज्ञों के साथ मिलकर फेफड़ों के कैंसर पर भी काम करेगा। इथिकल कमेटी की अनुमति के बाद इसे इंडियन काउंसिल आफ मेडिकल रिसर्च के शोध प्रस्ताव के रूप में शामिल किया जाएगा। इसके साथ ही दोनों संस्थान स्टेम सेल के विभिन्न आयामों पर शोध करेंगे।इससे बीमारी कम फैलेगी ओर अगर फैलती भी है तो दवा होगी उससे बचाने के लिए ये स्वस्थ्य की दुनिया की अच्छी पहल है


































