कन्नौज न्यूज़ उत्तर प्रदेश के कन्नौज मे सूरजमूखी भी लहलहाती दिखेगी। एक दशक पहले तक यहां दूर-दूरतक सूरजमुखी के खिले हुए फूल लहलहाते थे। बाजार और सरकार की अनदेखी से किसानों ने इससे किनारा करके मक्का की तरफ रुख किया। अब एक फिर से किसानों को सूरजमुखी की तरफ मोड़ने की कवायद शुरू हुई है। कन्नौज में आलू और मक्का फसल की खेती बड़े पैमाने पर होती है। एक हकीकत यह भी है कि एक दशक पहले तक यहां सूरजमूखी की खेती बड़े पैमाने पर होती थी। मैनपुरी की सीमा से कानपुर की सीमा तक जीटी रोड के दोनों किनारों पर दूर-दूर तक खेतों में सूरजमुखी की लहलहाती फसल मन मोह लेती थी। यहां की उपज महाराष्ट्र के लातूर में भेजी जाती थी। हालांकि बाद में बाजार में मांग कम हुई और लागत के मुताबिक कीमत नहीं मिलने पर किसानों का मोह भंग होले लगा। धीरे-धीरे किसानों ने मक्का की खेती की ओर रुख किया। नतीजा यह कि अब सूरजमुखी की खेती पूरी तरह से खत्म हो चुकी है।
जिले के बड़े हिस्से में मक्का की खेती होने लगी है। अब यहां सूरजमुखी की खेती को बढ़ावा देने का खाका तैयार हुआ है। जिला कृषि अधिकारी आवेश सिंह बताते हैं कि सूरजमुखी की तुलना में मक्का की खेती में सिंचाई के दौरान पानी की खपत ज्यादा होती है, और लागत भी ज्यादा आती है, इसलिए जिला प्रशासन ने सूरजमुखी की खेती को बढ़ावा देने के लिए खाका तैयार किया है। इस के तहत किसानों को सूरजमुखी की खेती में आने वाली कम लागत, कम संसाधन, बाजार में अच्छी कीमत की जानकारी देकर उन्हें जागरुक और प्रेरित किया जाएगा। इसके लिए यहां बाकायदा बंगलुरु से कृषि वैज्ञानिकों की टीम बुलाकर किसानों को जागरूक किया जाएगा। यह कार्यक्रम सोमवार को कलक्ट्रेट सभागार में होना तय हुआ है। वसंत पंचमी के बाद मौसम बदलते ही तापमान में इजाफा होगा और गर्मी दस्तक देने लगेगी। इसी दौरान मार्च से जून के बीच जायद खेती की शुरूआत होगी। इसी दौरान यहां मक्का की खेती शुरू होगी।
प्रशासन की तैयारी है कि किसान इसी दौरान सूरजमुखी की भी खेती करें। मक्का और सूरजमुखी की खेती करने पर तुलनात्मक लागता और मुनाफा सामने आने पर इसका बेहतर नतीजा आएगा। जिले में पहले 25 से 30 हजार हेक्टेयर में सूरजमुखी की खेती होती थी। जो धीरे-धीरे सिमटती रही। अब नतीजा यह है कि एक दशक से यहां इसकी खेती ही नहीं हो रही है। मंडी प्रशासन के मुताबिक जिले में आखिरी बार 2015-2016 में सूरजमुखी की खरीद हुई थी। बाद में उपज न होने की वजह कर खरीद प्रक्रिया बंद कर दी गई। सदर ब्लॉक के उदैतापुर के किसान विशाल दुबे के मुताबिक क्षेत्र में वर्ष 2010 से पहले सूरजमुखी की खेती होती थी। where is kannauj
पुलिस मामले की जांच कर रही हे


































