Lucknow News – बहुत पहले एक ICS अधिकारी ने अपने इंटरव्यू में बताया था की ब्रिटिश काल में भ्रस्टाचार सरकारी तंत्र में निचले स्तर पर था, कोई अधिकारी भ्रस्टाचार में लिप्त नहीं था, यहाँ तक की उप निरीक्षक भी भ्रस्ट नहीं थे, लेकिन स्तंत्रता के बाद जब पूरा देश और देशवासी अपनी है तब नीचे से ऊपर तक भ्रस्टाचार व्याप्त है, ऐसी ही एक घटना उत्तर प्रदेश के लखनऊ मे आवास विकास के अफसरों एवं इंजीनियरों के द्वारा गाजियाबाद के बिल्डर गौड़ संस इंडिया कंपनी को भू उपयोग शुल्क जमा कराए बिना ही वर्ष 2014 में सिद्धार्थ विहार योजना के सेक्टर आठ में 12.47 एकड़ जमीन देने का घोटाला उजागर हुआ है।
इस जमीन की कीमत अनुमानित 350 करोड़ रुपए आंकी जा रही है। इस जमीनी घोटाले की जांच एसआईटी के द्वारा की गई थी। एसआईटी के द्वारा आवास विकास को जांच रिपोर्ट सौंपे जाते ही आवास आयुक्त रणवीर प्रसाद ने शासन के अपर मुख्य सचिव (आवास) नितिन रमेश गोकर्ण को प्रकरण की विजिलेंस जांच कराए जाने के लिए पत्र लिखा है। जमीनी घोटाले की विजिलेंस जांच हुई तो शासन के पूर्व प्रमुख सचिव समेत चार बड़े अफसर भी फंसेंगे।
यानी विजिलेंस की जांच में आवास विकास के तीन पूर्व आवास आयुक्त भी आएंगे। इन पूर्व प्रमुख सचिव एवं पूर्व आयुक्तों के द्वारा बिल्डर को जमीन देने पर अंतिम मंजूरी की मुहर लगाई गई है। शासन के द्वारा पूर्व प्रमुख सचिव व पूर्व आयुक्तों को भी नोटिस जारी करने की तैयारी की जा रही है। हालांकि, एसआईटी की जांच आवास विकास के पूर्व उप आवास आयुक्त समेत पांच इंजीनियर, अफसर और कर्मचारियों को दोषी पाया गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर एसआईटी के द्वारा की गई जांच में तत्कालीन उप आवास आयुक्त एसवी सिंह, सहायक अभियंता आरएल गुप्ता, अनुभाग अधिकारी साधु शरण तिवारी, वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी बैजनाथ प्रसाद और सहायक श्रेणी द्वितीय आरसी कश्यप को प्रथम दृष्ट्या दोषी पाया गया है।
मगर, जांच पूरी होने से पहले यह सभी दोषी रिटायर हो चुके हैं। आवास विकास ने एसटीपी बनाने के लिए किसानों को मुआवजा देकर वर्ष 1989 में इस जमीन का कब्जा लिया था। वर्ष 2004 में इस जमीन को लेकर विवाद शुरू हुआ तो जून 2014 में बिल्डर की दूसरी जमीन के एवज में एसटीपी के प्रस्तावित जमीन उसे दे दी गई। बिल्डर को इस पर आवासीय प्रोजेक्ट लाने से पहले उसका भू उपयोग बदला जाना था, जिसके लिए शुल्क नहीं जाना था। लेकिन, अफसरों एवं इंजीनियरों ने भू उपयोग शुल्क जमा कराए बिना ही जमीन दे दी, जिससे आवास विकास को को 350 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। Know Major Cities of Uttar Pradesh


































