उत्तर प्रदेश के औरैया जिले में अजीतमल। कोटा बैराज से छोड़े गए पानी के कारण यमुना रौद्र रूप में आ गई है। शेरगढ़ घाट पर पानी खतरे के निशान से तीन मीटर ऊपर तक पहुंच गया है। सिकरोड़ी गांव में बाढ़ के हालात हैं। गांव में पानी भरने से 56 परिवारों को सुरक्षित ठिकानों पर भेजा गया है। इसके अलावा सदर व अजीतमल क्षेत्र के कई गांव बाढ़ से घिर गए हैं। सिकरोड़ी में हालात गंभीर होने पर एसडीआरएफ की टीम बुलाई गई है। सिकरोड़ी के स्कूल में भी पानी भर गया है। हालात बिगड़ने से अधिकारी क्षेत्र में कैंप कर रहे हैं।अजीतमल तहसील का सिकरोड़ी गांव सर्वाधिक प्रभावित हुआ है। गांव में बाढ़ का पानी घुसने से 56 परिवारों को बाहर निकाला गया है। उन्हें बाढ़ चौकी व टेंटों में रखा गया है।
दो दिन से प्रशासन 600 लोगों के खाने व राशन आदि की किट वितरित करा रहा है। इसके अलावा सदर तहसील के फरिहा, नौरी, जुहीखा व अस्ता गांवों में बाढ़ का खतरा मड़ंरा रहा है। बुधवार रात को ही नौरी व फरिहा में पानी घुस गया था जबकि अजीतमल के गौहानीकलां, बड़ेरा व भूरेपुर कलां भी बाढ़ की चपेट में हैं। इन गांवों के रास्तों व निचले स्थानों पर पानी पहुंचने से आवागमन ठप हो गया है। प्रशासन ने बड़ेरा में एक व गौहानीकलां में दो नावों की व्यवस्था की है। सिकरोड़ी के स्कूल में पानी भर जाने से पढ़ाई बंद कर दी गई है। वहीं हनुमानगढ़ी के स्कूल में राहत चौकी खोल दी गई है।
इससे यह स्कूल भी बंद है। एसडीएम अजीतमल निखिल राजपूत ने बताया कि सिकरोड़ी में पानी बढ़ने से एसडीआरएफ की टीम बुलाई गई है। बाढ़ पर लगातार नजर रखी जा रही है। कई विभागों के कर्मचारी व अफसर बाढ़ क्षेत्रों में कैंप कर रहे हैं। भोजन, दवा, बिजली, पानी व टेंट आदि की व्यवस्था की गई है।अजीतमल। यमुना की बाढ़ से प्रभावित सिकरोड़ी गांवों के लोग अपनी किस्मत को कोस रहे हैं। उनका कहना है कि सालभर खेतों में पसीना बहाकर जो कमाते हैं। बाढ़ में सब बर्बाद हो जाता है। यह समस्या हर साल खड़ी होती है। घर के होने के बाद भी बाढ़ के दिनों में वे बेघर हो जाते हैं। पाॅलिथीन के कैंप बनाकर परिवार समेत रहना पड़ता है। मवेशी भी खुले आसमान के नीचे रखने पड़ते हैं। काफी अनाज खराब हो जाता है। घर गृहस्थी का सामान इधर से उधर करना पड़ जाता है।