मथुरा समाचार उत्तर प्रदेश के मथुरा मे तीर्थनगरी मथुरा में नगर निगम में एक भी घोड़ा बग्घी का पंजीकरण नहीं है। जबकि शादियों के सीजन में सड़कों पर दर्जनों घोड़ा बग्घियां नजर आती हैं। 15 जनवरी से फिर से सहालग की शुरुआत होने जा रही है और लोग जानकारी के अभाव में बिना लाइसेंस संचालित घोड़ा बगघी बुक कर रहे हैं। नगर निगम भी इस पर मौन है। नगर निगम क्षेत्र में चलने वाली घोड़ा बग्घी और भैंसा बुग्गी का लाइसेंस लेना पड़ता है। निगम इसका शुल्क लेता है। बाकायदा निगम कार्यालय में इसका पंजीकरण रजिस्टर होता है,
लेकिन वर्तमान में नगर निगम के चार जोन में से किसी में भी एक भी घोड़ा बग्घी का लाइसेंस नहीं है। नगर निगम ने भी इस ओर ध्यान देना बंद कर दिया। जबकि एक दशक पहले तक घोड़ा बग्घी और भैंसा बुग्गी का चिह्निकरण किया जाता था। इनको लाइसेंस जारी किया जाता था। नगर निगम को लाइसेंस फीस के तौर पर राजस्व प्राप्त होता था। 15 जनवरी से सहालग की शुरूआत होने को है। ऐसे में दूल्हा पक्ष बरात के लिए घोड़ा बग्घी की भी बुकिंग बैंड-बाजों के साथ कर रहा है। अधिकांश घोड़ा-बग्घी बैंड-बाजा पार्टी संचालकों के पास ही हैं।
एक बरात के लिए घोड़ा-बग्घी की बुकिंग सजावट के आधार पर 10 से 15 हजार रुपये तक में हो रही है। घोड़ा बग्घी व भैंसा बुग्गी का अभी कोई भी पंजीकरण नगर निगम कार्यालय में नहीं है। इनको चिहिन्त कर लाइसेंस दिया जाएगा। लोगों से भी अपील है कि वह बरात के लिए घोड़ा बग्घी बुक करते समय लाइसेंस अवश्य देखें ताकि किसी भी प्रकार के हादसे की स्थिति में कार्रवाई की प्रक्रिया की अपनाई जा सके। -एसके गौतम, कर निर्धारण अधिकारी


































