कानपुर समाचार उत्तर प्रदेश के कानपुर मे गंगा बैराज किनारे बसाई जा रही ट्रांसगंगा सिटी में आवासीय भूखंड पर कब्जा न देना उप्र राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीसीडा) प्रबंधन को महंगा पड़ गया। प्राधिकरण को तय समय पर आवासीय भूखंड पर कब्जा न देने पर आवंटी बांदा निवासी दिव्या मिश्रा को कुल जमा धनराशि पर लगभग नौ प्रतिशत के हिसाब से आठ लाख रुपये ब्याज देना पड़ा। ट्रांसगंगा सिटी में आवंटित भूखंडों पर दिसंबर 2016 तक कब्जा देना था। निर्माण कार्य पूरा न हो पाने के कारण कब्जा नहीं दिया जा सका।
नाराज आवंटियों ने दीपक द्विवेदी की अध्यक्षता में ट्रांसगंगा सिटी रेजीडेंट वेलफेयर एसोसिएशन का गठन किया। कई आवंटियों ने उप्र भू-संपदा विनियामक प्राधिकरण (यूपी-रेरा) में वाद दायर कर दिया। यूपी-रेरा ने 8 सितंबर 2021 को निर्णय में कहा कि नौ शिकायतकर्ताओं को आवंटित भूखंड पर आठ सितंबर 2021 से 90 दिन के भीतर कब्जा दिया जाए, साथ ही दिसंबर 2016 से वास्तविक कब्जा देने की तिथि तक एमसीएलआर और नौ प्रतिशत ब्याज दिया जाए। इस आदेश के विरुद्ध यूपीसीडा प्रबंधन ने रियल इस्टेट अपीलेट ट्रिब्यूनल, लखनऊ में पहली अपील प्रस्तुत की। मामले में अपीलेट ट्रिब्यूनल ने रेरा के आदेश को बरकरार रखा और प्राधिकरण द्वारा दाखिल अपील को खारिज कर दिया।
परिणामस्वरूप अपीलेट ट्रिब्यूनल ने बांदा निवासी दिव्या मिश्रा के मामले में यूपीसीडा द्वारा जमा की गई ब्याज की 8,77,088 को यूपी रेरा के बैंक खाते में ट्रांसफर कर दिया था। अब उक्त धनराशि को यूपी रेरा ने भूखंड आवंटी दिव्या मिश्रा के बैंक खाते में ट्रांसफर कर दिया है। दिव्या मिश्रा ने 21 सितंबर 2015 को ट्रांसगंगा सिटी में 120 वर्गमीटर का भूखंड बुक कराया था और 21,73,000 रुपये जमा किए थे। एसोसिएशन के अध्यक्ष दीपक द्विवेदी का कहना है कि अन्य वादकर्ताओं को भी अब ब्याज मिलने की उम्मीद है।
































