उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले मे महाकुंभ मेले मे मौनी अमावस्या के पर्व पर हुई भगदड़ मे लोगो ने अपने साथ आए साथियो को खो दिया है ओर कुछ लोग लापता है तो वही कुछ घायल है परिजन अपने लोगो को तलाशते घूम रहे है मौनी अमावस्या पर संगम तट पर हादसे के बाद लाचार, बेबस और बदहवाश परिजन अपनों की तलाश में भटक रहे थे। अस्पताल दर अस्पताल, पूछताछ केंद्रों पर एक ही गुहार हमारे अपनों के बारे में बता दीजिए। कोई फोटो दिखाता तो कोई हाथ जोड़ता, आंखों से झर-झर आंसू बह रहे थे। बस उम्मीद थी कि शायद कोई बता दे कि आपके अपने ठीक हैं।
केंद्रीय चिकित्सालय में एक के बाद एक एंबुलेंस की कतार लग रही थी। सायरन की आवाज गूंज रही थी। सुबह सात बजे तक लगातार घायल लाए जा रहे थे। जैसी ही कोई एंबुलेंस पहुंचती चिकित्सकों की टीम दौड़कर घेर लेती और घायल को फटाफट स्ट्रेचर के सहारे अंदर ले जाते। इसके बाद जब परिजन पहुंचे तो वह कभी पुलिसकर्मियों से तो कभी चिकित्सकों से अपनों के बारे में पूछ रहे थे।चिकित्सालय के आसपास लोगों की भीड़ जुट गई थी। हालांकि, प्रशासनिक अधिकारी लोगों को इकट्ठा नहीं होने दे रहे थे।
औरेया निवासी गुड़िया पांडेय ने बताया कि 17 साल की बेटी स्वीकृति पांडे दब गई थी। बिजली का पोल नहीं मिलता तो सभी मर जाते। छोटे बेटे को पोल पर चढ़ा दिया था, लेकिन बेटी नीचे दबी रह गई थी। इसकी वजह से उसकी हालत बहुत गंभीर हो गई। अस्पताल में चिकित्सकों से विनती की है कि वह हमें हमारी बेटी से मिलवा दें।औरेया जिला के रंजन कुमार चौहान ने बताया कि धक्का लगने के बाद मेरे पापा बिछड़ गए। कई जगह तलाश की, लेकिन पता नहीं चल पाया। लोगों ने कहा कि अस्पताल जाकर पता करिए। अब यहां पर भी कोई जानकारी नहीं मिल पा रही है। ऐसे ही कई जगहो के लोग अपनों को तलाशते फिर रहे है लेकिन परिजनो का कुछ पता नहीं चल रहा है पुलिस प्रशासन पूरी व्यवस्थाए
जुटाने मे लगा हुआ है फिर भी लोग भटकते नजर आ रहे है
			





















		    











