उत्तर प्रदेश के औरैया जिले में अन्हैया व पांडु नदियों की सूरत बदल रही है। डीएम की पहल पर यहां की दोनों नदियों को मनरेगा के जरिए संवरा जा रहा है। इससे नदी का संरक्षण व संवर्धन तो होगा ही, साथ ही जल गुणवत्ता में सुधार भी आएगा। यही नहीं, पर्यावरण सुधार के संग आर्थिक, स्वास्थ्य व सामुदायिक लाभ भी होंगे। खास बात तो यह है कि नदी के प्रवाह क्षेत्र के आसपास का भूगर्भ जलस्तर भी बढ़ेगा जिसका सीधा फायदा किसानों को मिलेगा।अन्हैया नदी निकटवर्ती जनपद इटावा के विकास खंड भरथना से जनपद के विकास खंड अछल्दा से प्रवेश करती है और वहां से सहार होते हुए जनपद कानपुर देहात में प्रवेश कर जाती है।
अन्हैया नदी अपने गमन के दौरान ग्राम पंचायत गड़वाना, इटैली, लहटोरिया, बोडेपुर, ग्वारी, गुनोली, बंसी, सलेमपुर, रजुआमऊ, देवराव व हरचंदपुर से होकर गुजरती है। यह नदी जनपद में लगभग 21.5 किमी के क्षेत्र में प्रवाहित होती है लेकिन रखरखाव के अभाव में इसकी सूरत बिगड़ गई थी।ऐसे में अन्हैया व पांडु नदी को मनरेगा से जीर्णोद्धार की कार्ययोजना तैयार की गई है। अन्हैया नदी के जीर्णोद्धार को मनरेगा से 1.98 करोड़ व पांडु नदी के जीर्णोद्धार को 1.37 करोड़ की कार्ययोजना तैयार की गई। अन्हैया नदी पर स्वीकृत के मुकाबले 1.21 करोड़ व्यय हो चुके है जबकि करीब 42 लाख पांडु नदी पर भी व्यय किए जा चुके हैं।कुछ ऐसा ही हाल पांडु नदी का भी रहा। वर्षों से सफाई न होने से गाद की जमा हो गई थी। बारिश के दिनों में नदी ओवरफ्लो होने से किसानों की सैकड़ों एकड़ जमीन बर्बाद हो जाती थी।
पांडु नदी जनपद कन्नौज से निकल कर ब्लॉक बिधूना में औरैया में प्रवेश करती है और ग्राम पंचायत सबहद, धरमंगदपुर, जरावन गैली, सिरयावा, भदोरा, बरु कुलासर, बेला, जौहर व बरकसी होते हुए जनपद कानपुर देहात में प्रवेश कर जाती है। यहां से कानपुर नगर से होते हुये फतेहपुर में गंगा नदी में मिलती है।इस जीर्णोद्धार से सारस पक्षियों की संख्या में भी वृद्धि हुई है, जो जैव विविधता के लिए बेहतर संकेत हैं। वहीं, पांडु नदी के जीर्णोद्धार भी तय समय पर पूरा कर लिया जाएगा। नदियों के जीर्णोद्धार से रोजगार दिवस भी सृजित हुए हैं, जिसका लाभ सीधे श्रमिकों को मिल रहा है।


































