दिल्ली में पानी की आपूर्ति दो दिन बाधित रहेगी। दिल्ली जल बोर्ड स्थिति की लगातार समीक्षा कर रहा है। हरियाणा के सोनीपत स्थित बड़वासनी गांव के पास कैरियर लिंक चैनल (सीएलसी) के टूटने से नहर टूटने से बड़वासनी व किलोहड़द के पास करीब 150 एकड़ भूमि जलमग्न हो गई है इसके चलते दिल्ली के जल उपचार संयंत्रों हैदरपुर फेज-1, फेज-2, बवाना, नांगलोई और द्वारका जलशोधन संयंत्र को साफ पानी की आपूर्ति नहीं होगी।
डीजेबी ने कहा, स्थिति में सुधार होने तक कम दबाव पर पानी उपलब्ध कराया जाएगा। उत्तरी दिल्ली, पश्चिमी, उत्तर-पश्चिमी, कैंट व दक्षिणी दिल्ली में जलापूर्ति प्रभावित रहेगी। टैंकर के लिए केंद्रीय नियंत्रण कक्ष के 1916, 23527679, 23634469 नंबर पर भी संपर्क कर सकते हैं। दिल्ली में सीएलसी से रोजाना 600 क्यूसेक पानी भेजा जाता है। ऐसे में आपूर्ति के लिए 350 क्यूसेक पानी खुबडू झाल के पास से सीएलसी के बजाय पश्चिमी यमुना लिंक नहर में डायवर्ट कर दिया गया है। वहीं 350 क्यूसेक पानी मूनक हेड से यमुना नदी के माध्यम से दिल्ली भेजा जा रहा है। सोनीपत के सिंचाई विभाग के एक्सईएन गुलशन कुमार ने कहा कि दिल्ली में पेयजल आपूर्ति प्रभावित नहीं होने दी जाएगी। दिल्ली में पेयजल आपूर्ति के लिए बनाई गई करियर लिंक चैनल (सीएलसी) नहर चार माह के अंतराल में दूसरी बार गांव बड़वासनी के पास ही फिर से टूट गई है। पहले नहर टूटने पर यहां 25 लाख रुपये खर्च कर इसकी मरम्मत की गई थी।
एक ही जगह से फिर से नहर टूटने को लेकर ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि मरम्मत और सफाई में लीपापोती की गई थी। वहीं दूसरी तरफ सिंचाई विभाग का आरोप है कि नहर को तोड़ा गया है। गांव बड़वासनी के 14 जून को बड़वासनी गांव के पास सीएलसी नहर में कटाव हो गया था। इस कारण 300 एकड़ भूमि पर जलभराव हो गया था। नहर का पानी बंद करने पर पता लगा था कि सफाई नहीं की गई थी। बड़वासनी गांव में गोहाना रोड पर पुल के नीचे ही पांच फीट तक मलबा मिला था। नहर टूटने पर करीब 25 लाख रुपये की लागत से मरम्मत का काम किया गया था। चार माह के अंदर ही पहले वाले स्थान के करीब नहर फिर से टूटने से मरम्मत प्रक्रिया पर भी सवाल खड़ा हो गया है। नहर टूटने से किसानों को काफी नुकसान हुआ है। करीब 150 एकड़ में जलभराव हुआ है। इसमें कई एकड़ में धान की कटी फसल भी शामिल है। मक्का और गन्ने के खेतों में भी पानी भर गया है। ऐसे में किसानों को काफी नुकसान झेलना पड़ सकता है। अमरूद के बाग में भी पानी भर गया है। किसानों के खेत में बने मकानों के चारों तरफ पानी है।