उत्तर प्रदेश के लखनऊ निजी मेडिकल कॉलेज महंगी फीस ही नहीं लेते बल्कि करोड़ों रुपये का इंटर्नशिप भत्ता भी डकार जा रहे हैं। यह खुलासा चिकित्सा शिक्षा विभाग की आंतरिक जांच रिपोर्ट में हुआ है। विभाग अब सभी निजी कॉलेजों को नियमों के अनुसार भत्ता देने के लिए पाबंद करने की तैयारी में है प्रदेश के 31 निजी मेडिकल कॉलेजों में 4900 सीटें हैं। एमबीबीएस की डिग्री पूरी करने के बाद छात्रों को 12 माह का इंटर्नशिप करना होता है।
हर छात्र को प्रतिमाह 12 हजार रुपये इंटर्नशिप भत्ता देने का नियम है। इसके बाद भी निजी मेडिकल कॉलेज इंटर्नशिप भत्ता नहीं दे रहे हैं। लगातार मिल रही शिकायतों के बाद चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण महानिदेशालय ने कॉलेजवार सर्वे कराया। सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक 10 निजी मेडिकल कॉलेज एक भी छात्र को इंटर्नशिप भत्ता नहीं दे रहे हैं। चार मेडिकल कॉलेज प्रतिमाह 10 हजार रुपये की दर से भत्ता दे रहे हैं। वहीं अन्य कॉलेजों में कोई तीन हजार तो कोई सात हजार रुपये प्रतिमाह भत्ता दे रहा है। भत्ता नहीं देने वाले कॉलेजों में एमबीबीएस की न्यूनतम 150 सीटें हैं। वे हर साल करीब दो करोड़ 16 लाख रुपये छात्रों के हिस्से का डकार जा रहे हैं।
इस खुलासे के बाद चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण महानिदेशालय निजी कॉलेजों को नोटिस जारी करने की तैयारी में है। सरकारी के साथ ही निजी कॉलेजों और विदेश से एमबीबीएस करके लौटने वालों को इंटर्नशिप भत्ता के रूप में 12000 रुपये देने का प्रावधान है। डीजीएमई किंजल सिंह का कहना है कि मेडिकल कॉलेजों को 12 हजार रुपये इंटर्नशिप भत्ता देने का निर्देश है। कुछ कॉलेजों के भत्ता नहीं देने की बात सामने आई है। वे किन परिस्थितियों में भत्ता नहीं दे रहे हैं, इसकी पड़ताल कराई जा रही है।