मध्य प्रदेश के उज्जैन मे खाक चौक चौराहा स्थित गयाकोठा तीर्थ पुराण और अवंतिका खंड के हिसाब से श्राद्ध कर्म एवं तर्पण कार्य के लिए बहुत ही पूजनीय स्थान है। देश भर के लोग यहां श्राद्ध पक्ष में पहुंचते हैं। इस स्थान के महत्व को देखते हुए 2018 में मध्यप्रदेश शासन द्वारा इस स्थान के सौंदर्यीकरण के लिए के 10 करोड़ रुपये से अधिक की राशि स्वीकृत की गई थी। गयाकोठा क्षेत्र में होने वाले सौंदर्यीकरण के कार्यों की डिजाइन और ड्राइंग भी बनकर तैयार हो गई थी। काम के लिए टेंडर भी पास किए गए, लेकिन दो बार टेंडर निरस्त होने के बाद तीसरी बार काम शुरू हुआ तो आधा अधूरा काम हुआ और संबंधित ठेकेदार ने फिर काम बंद कर दिया। पांच वर्ष के बाद आज भी इस स्थान पर सभी कार्य अधूरे पड़े हैं। गयाकोठा के जीर्णोद्धार व सौंदर्यीकरण कार्य को धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग मध्यप्रदेश सरकार प्रदत्त निधि से स्वीकृत किए गए थे। कोरोना के बाद से ही गयाकोठा तीर्थ के कार्य अधूरे हैं। इस माह की 29 सितंबर से श्राद्ध पक्ष शुरू होंगे, श्राद्ध पक्ष में तीर्थ पर हजारों की संख्या में देशभर से लोग तर्पण करने आते हैं। इस तीर्थ का महत्व बिहार के गया तीर्थ में तर्पण का बताया गया है, वहीं, महत्व यहां भी बताया गया है। 16 दिन के श्राद्ध पक्ष में देशभर से लोग यहां पितरों के तर्पण के उद्देश्य से आते हैं। कई वर्षों पहले यहां यह स्थिति थी कि लोग तर्पण के लिए सड़क के एक हिस्से को घेर लेते थे। पंडितों के द्वारा तर्पण के लिए टेंट लगवा कर तर्पण कराया जाता था।पांच साल पहले जो कार्य किए गए थे, वह भी सब टूट गए। गयाकोठा तीर्थ में सबसे प्रथम प्रवेश द्वार पर लगे पत्थर काले हो रहे हैं और पत्थर भी बहुत सी जगह से टूट चुके हैं। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए बैठक हाल बनाया गया है, जिसमें बैठकर पंडित द्वारा तर्पण कराया जा सके वहां पर भी पत्थर निकल गये हैं और कुछ जगह तो पत्थर लगाए नहीं है। फूल प्रसादी की आठ दुकानों का निर्माण भी कराया गया था। उन दुकानों में आज तक लाइट कनेक्शन और ना ही दुकानों में शटर लगाई गई है। कुंड के आसपास भी अधूरा निर्माण पड़ा है कुछ जगह बीम के कालम तक नहीं भरे। चलने के लिए पथ मार्ग भी आज तक सही नहीं किया गया। श्राद्ध और तर्पण कर्म के लिए देशभर में प्रसिद्ध उज्जैन के गया कोठा तीर्थ की तस्वीर बदलने वाली थी। पांच साल पहले ही 10 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से मंदिर के आसपास नवमंदिर शिखर, सभा मंडप, तर्पण कुटिया के साथ पीछे स्थित कुंड पर नए घाट बनाने के लिए टेंडर निकल चुके थे, तीन बार टेंडर निरस्त होकर एक बार काम भी शुरू हो गया। पहली बार तीर्थ विकास की महती प्लानिंग बनी थी। नोडल एजेंसी हाऊसिंग बोर्ड अधिकारियों ने विकास कार्य का औपचारिक भूमिपूजन भी किया था । 18 माह में ये काम पूर्ण करने का दावा किया गया था। इसके लिए फंड धर्मस्व विभाग ने दिया है। दो बार टेंडर निरस्त होने से काम में देरी होने से तत्कालीन धर्मस्व मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया ने अधिकारियों को फटकार भी लगाई थी। लेकिन फिर भी कार्य अधूरा ही रहा। पूर्व सभापति नगर पालिका निगम, उज्जैन सोनू गेहलोत ने बताया कि मैंने इस बारे में बात भी की है। उषा ठाकुर इस विभाग की मंत्री हैं। एजेंसी तो अभी भी पुरानी है और मैंने धर्मस्व मंत्री उषा ठाकुर को बोला भी था। विभाग ने भी राशि की मांग की और हमने भी मांग की है। इसमें कुछ बाकी राशि पांच से छह करोड़ अभी आना है। इस कारण से काम पेंडिंग पड़ा है। उन्होंने बोला भी था कि हम राशि भेजेंगे अभी तक राशि नहीं आई है। श्राद्ध पक्ष से पहले जन सहयोग से कराऊंगा साफ सफाई और नगर निगम को भी कहा जाएगा।