नक़ल हमेशा होती है लेकिन बराबरी कभी नहीं, यही हाल है डीएसएस का राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जैसा नाम और उसी के जैसा पहनावा लिए लालू के बड़े बेटे तेज प्रताप का छह साल पुराना संगठन चर्चा में है। क्युकी इसी के माध्यम से इसने इस बार बागेश्वर धाम वाले धीरेंद्र शास्त्री को खुली चुनौती दे रहे तेज।
तेज प्रताप यादव जैसे नेताओ की धर्मनिरपेक्षता एकपक्षीय ही होती है फिर भी इस संगठन का नाम रखा है धर्मनिरपेक्ष सेवक संघ (DSS) और इसमें नाम की फरवरी 2017 में घोषणा की थी। तब तेज प्रताप बिहार की तत्कालीन महागठबंधन-1 सरकार में स्वास्थ्य मंत्री थे। छोटे भाई तेजस्वी यादव तब पहली बार उप मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे थे। तेज प्रताप ने मंत्री रहते यह संगठन बनाया ही नहीं, बल्कि सड़कों पर भी नेतृत्व करते नजर आए थे। तब तेज प्रताप का दावा था कि उनके संगठन DSS के डर से अप्रैल 2017 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने बिहार आते-आते रास्ता बदल लिया था। यह संगठन महागठबंधन-1 सरकार के सत्ता से हटने के बाद भी कुछ समय तक एक्टिव रहा, लेकिन 2018 के बाद इसकी सक्रियता शून्य हो गई आखिर उद्देस्य जो था वो पूरा हो गया था ।
अब बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद का ‘तेल पिलावन, लाठी घुमावन’ फिर चर्चा में आ रहा है। बिहार में डेरा सच्चा सौदा भी चर्चा में आ गया है। वजह हैं लालू के बड़े लाल और राज्य के वन-पर्यावरण मंत्री तेज प्रताप यादव ने बागेश्वर धाम वाले धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के पटना में होने वाले कार्यक्रम के विरोध में तेज प्रताप ने छह साल पुराना अपना संगठन DSS फिर एक्टिव किया है। इस संगठन के सदस्यों ने RSS के स्वयंसेवकों जैसी वेशभूषा के साथ सड़कों पर भी निकलना शुरू कर दिया है। धर्मनिरपेक्ष सेवक संघ (DSS) का प्रशिक्षण शिविर खुद तेज प्रताप अपनी देखरेख में चला रहे और इसकी तस्वीरें भी शेयर कर रहे।
अब समस्या ये है की अगर डीएसएस और आरएसएस की भेषभूसा एक ही है तो डीएसएस के लोग अपराध करके आरएसएस पर भी लगा सकते है, आखिर स्थापना तो द्वेष भाव से ही हुयी है।