उत्तर प्रदेश के कानपुर ज़िले मे अब नयी चीनी मिले लगेगी ज्वार का डंठल जिसे मीठी चरी कहते हैं। उससे छह तरह के स्टार्ट अप शुरू किए जा सकते हैं। नेशनल शुगर इंस्टीट्यूट (एनएसआई) ने शोध करके तकनीक विकसित की है। दावा है कि मीठी चरी से इथेनॉल, वैनिला स्वाद वाला एजेंट वैनिलीन, शहद से कम कैलोरी वाली चीनी बनेगी। हरित ऊर्जा, डाइट फाइबर और चीनी का पीलापन दूर करके अधिक सफेद बनाने वाला बॉयो-चार बनाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मिलेट्स रिसर्च के सहयोग से ज्वार की पांच प्रजातियों पर काम किया। ज्वार पैदा करने वाले किसान और कोई भी नए स्टार्टअप शुरू कर सकते हैं। अभी तक मीठी चरी का उपयोग पशुओं के चारे के रूप में किया जाता है। उन्होंने बताया कि इंस्टीट्यूट के फार्मों में जिन ज्वार की जिन पांच प्रजातियों पर काम गया, वे प्रदेश की जलवायु के अनुरूप हैं। ऐसे करेंगे मीठी चरी का इस्तेमाल
जूस से बनाएंगे इथेनॉल, लो कैलोरी शुगर…
डंठल को पीसकर जूस निकालेंगे। इस जूस से इथेनॉल बनाएंगे। एक टन जूस में 50 लीटर इथेनॉल बनेगा।
जूस से लो कैलोरी शुगर बनाई जाएगी। इसमें अच्छा स्वाद और सोंधापन रहेगा। इससे जेम-जैली भी बना सकते हे नयी पद्धति से चीनी बनकर तैयार होगी जिसमे कैलोरी कम मात्रा मे होगी