उत्तर प्रदेश के चित्रकूट जिले में नमकीन के व्यापारी काशी ने चार साल पहले नया मकान बनवाकर कारखाना लगाया था। कुछ दिन बाद घाटा होने से कारखाना बंद हो गया। इसके कारण वह अंधविश्वास में फंसकर तंत्र मंत्र के सहारे अपनी आर्थिक स्थिति सुधारने के फेर में पड़ गया।परिवार के साथ खुद को मकान तक सीमित कर लिया। काशी केसरवानी नमकीन बनाने का कारखाना चलाता था। स्थानीय लोगों ने बताया कि कारखाने से उसे अच्छी कमाई हो रही थी। इसीलिए उसने समीप ही भूमि खरीद कर मकान बनवाया। इसमें उसने पूरा कारखाना स्थापित कर लिया।लेकिन इसके बाद उसे घाटा होने लगा। कारखाना बंद हो गया। इसके बाद वह परिवार के साथ घर में कैद हो गया। यहां तक कि अपने पिता-माता समेत रिश्तेदारों से भी दूरियां बना ली। किसी को घर में घुसने की इजाजत नहीं देता था। खिड़कियां पूरी तरह बंद कर ली थीं। पड़ोसी बताते हैं कि वह घर के अंदर लाइट नहीं जलाता था। अंधेरे में पूरा परिवार रहता था। मोहल्लेवासियों ने बताया कि कभी कभार काशी गुप्ता अपनी बाइक से निकलता था और फिर घर आकर कैद हो जाता। लगभग तीन-चार वर्ष से यह सिलसिला चल रहा था। चाइल्ड लाइन के समन्वयक विशेष त्रिपाठी ने बताया कि व्यापारी के घर में कई जगह पूजन सामग्री व तंत्र मंत्र की सामग्री मिली है। उसकी पत्नी ने भी बताया कि किसी चाइल्ड लाइन के अधिकारियों ने बताया कि घर में अंदर से लगे ताले को काफी प्रयास के बाद खुलवाया गया। कमरे के अंदर दंपती और बच्चे अंधेरे में कैद मिले। कमरे में गंदगी के साथ तंत्र-मंत्र की सामग्री का ढेर था और बच्चों की हालत काफी खराब थी। टीम ने एम्बुलेंस से सभी को लेकर जाकर जिला अस्पताल में भर्ती कराया। पूछताछ में काशी ने बताया कि नए मकान में आने के बाद उनके नमकीन के कारोबार में घाटा होने से घर में पूजा-पाठ कर रहा था। उसने कहा किसी तांत्रिक के कहने पर नहीं बल्कि खुद परिवार के साथ पूजा-पाठ कर रहा था और कामना सिद्ध तक पूजा का फैसला किया था। हालांकि यह माना जा रहा है कि वह किसी तांत्रिक के संपर्क में था। जिला अस्पताल के मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉ. नरेंद्र पटेल ने बताया कि किसी को जब कोई बड़ा नुकसान होता है, तो वह इसकी रिकवरी के लिए तंत्र मंत्र का सहारा लेता है। यह मानवीय प्रवृत्ति भी होती है। इस केस में कुछ ऐसा ही लगता है। यह मानसिक रोग की तरह होता है। इसमें लगातार इलाज की जरूरत होती है। पुलिस मामले की जांच कर रही हे