उत्तर प्रदेश के सीतापुर। बिसवां कस्बे के मोहल्ला झज्जर निवासी संतोष तिवारी (50) सरसाखुर्द का कोटेदार था। 21 मई की शाम पांच बजे वह बाइक से बाजार जाने के लिए निकला था, लेकिन इसके बाद लापता हो गया। उसके पुत्र अभिषेक तिवारी ने 22 मई को गुमशुदगी दर्ज कराई। 24 मई की सुबह संतोष का शव बिसवां थाना क्षेत्र के अकबापुर गांव में एक खेत में पड़ा मिला था। उसकी बाइक भी डेढ़ किलोमीटर दूर डामरपुरवा में पड़ी मिली थी। तलाशी के दौरान शव के पास से मोबाइल नहीं मिला था और रुपये भी गायब थे। एसपी घुले सुशील चंद्रभान ने घटना के खुलासे के लिए प्रभारी निरीक्षक अनिल कुमार सिंह को लगाया था। पुलिस ने शिव कुमार उर्फ प्रेमी निवासी झज्जर और शंभू उर्फ सम्मू निवासी अकबापुर को पुरैनी पुल के पास से गिरफ्तार कर लिया। सीओ बिसवां अभिषेक प्रताप अजेय ने बताया कि 21 मई की रात तीनों ने साथ बैठकर शराब पी थी। इसी दौरान आपस में गाली गलौज होने लगा। संतोष ने जातिसूचक गालियां दे दीं, तो दोनों आरोपियों ने मिलकर उसकी हत्या कर दी। हत्या करने के बाद शव को पहले गांव के कब्रिस्तान में डाला, लेकिन फिर उठाकर एक गन्ने के खेत में डाल दिया। यह गन्ने का खेत छोटा था, तो फिर अकबापुर में एक बड़े गन्ने के खेत में शव डाल दिया। आरोपियों में शंभू हिस्ट्रीशीटर है और उसके खिलाफ थानगांव थाने में 11 मामले दर्ज हैं। न्यायालय में पेश करने के बाद दोनों को जेल भेज दिया गया। कोटेदार हत्याकांड का खुलासा करना पुलिस के लिए बड़ी चुनौती थी। पुलिस को घटना के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पा रही थी। प्रभारी निरीक्षक अनिल कुमार सिंह के नेतृत्व वाली टीम ने घटनास्थल से कोटेदार के मकान के बीच में आठ किलोमीटर के इलाके में लगे चार सीसीटीवी कैमरों की फुटेज निकलवाई। लगभग नौ घंटे की फुटेज की जांच के दौरान प्रेमी कई जगहों पर नजर आया। इसके बाद पुलिस ने मृतक के मोबाइल को तलाश करना शुरू किया। जब पुलिस ने दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया तो इनमें से एक ने अपने मकान के पिछले हिस्से में जमीन के नीचे दबाए गए मोबाइल को निकालकर पुलिस के हवाले कर दिया। पुलिस मामले की जांच कर रही हे