उत्तर प्रदेश के कानपुर के जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के मल्टी सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल एंड पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट के इंडोक्रोनोलॉजी विभाग के वरिष्ठ विशेषज्ञ डॉ. शिवेंद्र वर्मा ने बताया कि इस दवा का ट्रायल परिणाम बंगलूरू में शनिवार से शुरू हुई दो दिवसीय नेशनल इंसुलिन एकेडिमा कॉन्फ्रेंस में प्रस्तुत किया गया। देश भर के 40 विशेषज्ञों के पैनल ने इस पर मंथन किया। इस पैनल में डॉ. शिवेंद्र वर्मा भी रहे हैं। उन्होंने बताया कि इस दवा की सामान्य इंसुलिन की तरह ही खुराक लेनी पड़ेगी लेकिन इसका असर लंबे समय तक रहेगा। डॉ. वर्मा ने बताया कि नई दवा का ट्रायल देश के अंदर और विदेशों में भी हुआ है। इसमें दो बिंदुओं पर विशेषज्ञों के पैनल ने विशेष चर्चा की। पहला कि इस दवा के लेने से ब्लड शुगर घटने जिसे हाइपोग्लाइसीमिया कहते हैं, उसका रिस्क बहुत कम रहेगा। दवा लेने पर ब्लड शुगर लेवल एकदम से नीचे नहीं आएगा। इसके अलावा दूसरा बिंदु डायबिटीज पीड़ित के वजन बढ़ने का था। इसमें बताया गया कि जिन रोगियों को ट्रायल में शामिल किया गया, उनका वजन अधिक नहीं बढ़ा। डॉ. वर्मा ने बताया कि वर्ष 2002 में कुछ इंसुलिन आई थीं, जिनका असर 20 से 24 घंटे तक रहता था। इसके बाद जो आई दवा का असर 30 से 42 घंटे तक हो गया। लेकिन एक सप्ताह तक असर रखने वाली यह पहली इंसुलिन है। डॉ. वर्मा का कहना है कि इंसुलिन के इंजेक्शन लेने में ज्यादातर रोगी अनिच्छा जताते हैं। डायबिटीज से पीड़ितों में 30 से 40 फीसदी रोगी इंसुलिन लेते हैं। ऐसे रोगियों के लिए बहुत राहत रहेगी। उन्हें सप्ताह में एक बार ही दवा लेनी पड़ेगी।खाना खाने के पहले दिन में दो बार इंसुलिन के इंजेक्शन लगाने से परेशान रोगियों के लिए राहत भरी खबर है। अब उन्हें सप्ताह में एक दिन ही इंसुलिन लेनी पड़ेगी और पूरे सप्ताह उनका ब्लड शुगर लेवल नियंत्रित रहेगा। अल्ट्रा लॉन्ग इंसुलिन एक सप्ताह तक काम करेगी। इस दवा का सफल ट्रायल हो गया है। तीन-चार महीने में दवा बाजार में उपलब्ध हो जाएगी।