मध्यप्रदेश के उज्जैन में स्थित 84 महादेव में तीन महादेव ऐसे हैं, जिनके दर्शन व पूजन से ग्रह नक्षत्रों की बाधा समाप्त होती है। अगस्तेश्वर महादेव, ढूंढेश्वर महादेव, गुहेश्वर महादेव को नक्षत्र अनुसार महादेव भी माना जाता है। कृतिका नक्षत्र से कार्तिक मास की उत्पत्ति हुई है, इसीलिए कार्तिक मास में ढूंढेश्वर महादेव का पूजन-अर्चन और दर्शन करने का विशेष महत्व है। यदि कोई श्रद्धालु पूरे कार्तिक मास शिप्रा में स्नान करता है और ढूंढेश्वर महादेव के दर्शन नहीं करता तो उसे कार्तिक स्नान का पुण्य प्राप्त नहीं होता है। यह जानकारी 84 महादेव में तीसरा स्थान रखने वाले ढूंढेश्वर महादेव मंदिर के पुजारी पंडित अजय व्यास ने देते हुए बताया कि ढूंढेश्वर महादेव के दर्शन करने मात्र से ही कार्तिक मास स्नान का पुण्यफल प्राप्त हो जाता है। कार्तिक मास की पूर्णिमा पर मंदिर में दीपदान का विशेष महत्व है, इसीलिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु मंदिर में दीपदान करने पहुंचते हैं। मंदिर के पुजारी पंडित अजय व्यास बताते हैं कि वैसे तो श्री ढूंढेश्वर महादेव की महिमा अत्यंत निराली है, लेकिन विशेष रूप से ढूंढेश्वर महादेव के पूजन-अर्चन और दर्शन करने से समस्त पापों से मुक्ति के साथ ही खोई हुई प्रतिष्ठा प्राप्त हो जाती है। मंदिर की यह भी मान्यता है कि यदि किसी खोए हुए समान की प्राप्ति की कामना को लेकर भगवान का पूजन-अर्चन किया जाता है तो वह सामान प्राप्त हो जाता है। शिप्रा नदी किनारे रामघाट पर दत्त अखाड़ा के ठीक सामने श्री ढूण्ढेश्वर महादेव का अत्यंत प्राचीन मंदिर है, जो कि 84 महादेव में तीसरे स्थान पर आते हैं। मंदिर का प्रवेश द्वार उत्तरमुखी है जिसके ऊपर गणेशजी की प्रतिमा है। मंदिर के गर्भगृह में एक फीट ऊंचा शिवलिंग है जो नागवेष्टित है। यहां भगवान गणेश व माता पार्वती की मूर्तियां स्थापित हैं। शिवलिंग पीतल की जलाधारी में स्थापित है। शिवलिंग के सामने नंदी विराजित हैं।।