उन्नाव समाचार – जैसे माता शबरी ने भगवान श्री राम का इंतज़ार किया ऐसे ही कलयुग में भी ऐसे भक्त है जिन्होंने प्रण लिया था और आज 34 साल बाद उनका प्रण पूरा हो रहा है
उत्तर प्रदेश के उन्नाव मे राम लहर के बीच भव्य समारोह में 22 जनवरी को अयोध्या में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम की प्राण प्रतिष्ठा होगी। सदियों तक चले इस संघर्ष में बड़ी संख्या में रामभक्तों को कई तरह से यातनाएं मिलीं, लेकिन इस आंदोलन के प्रणेता थके न हारे। आंदोलन से जुड़े उन्नाव जिले के कारसेवकों से बताया कि सपना साकार होते देखकर उन्हें जो खुशी है, वह शब्दों में व्यक्त नहीं कर सकते।
ऐसे ही कारसेवकों में विरल व्यक्तित्व के धनी मंदिर आंदोलन से जुड़े फतेहपुर चौरासी ब्लॉक के जाजामऊ गांव निवासी लक्ष्मीस्वरूप ब्रह्मचारी उर्फ फलाहारी बाबा अयोध्या में मंदिर निर्माण के लिए 34 वर्षों से उपवास पर हैं। उनका संकल्प है कि वह अयोध्या जाएंगे और वहां पूजन करने के बाद अन्न ग्रहण करेंगे। फलाहारी बाबा 13 साल की उम्र में वैराग्य लेकर पास के लोनारपुर गांव में स्थित मां भुवनेश्वरी पीठ के दंडी स्वामी देवाश्रम के शिष्य बने। 1988 में वह बजरंग दल के ब्लॉक संयोजक बने। इसके बाद विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के तत्वावधान में राम मंदिर आंदोलन में हिस्सा लेते हुए ‘सौगंध राम की खाते हैं, मंदिर वहीं बनाएगें’ के स्वर मुखर किए।
लोगों में राम मंदिर आंदोलन के लिए अलख जगाने में लग गए। झूलूमऊ गांव स्थित माता फूलमती के मंदिर में रह रहे फलाहारी बाबा ने बताया कि 12 अक्तूबर 1989 को पुलिस ने उन्हें सुबह गिरफ्तार किया और 13 अक्तूबर को रायबरेली जेल भेज दिया। इस दौरान उन्होंने 17 अक्तूबर को जेल में ही प्रतिज्ञा ली कि जब तक अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण और रामलला विराजमान नहीं होंगे, वह अन्न ग्रहण नहीं करेंगे और चारपाई के बजाए जमीन पर ही सोएंगे। उनके सहयोगी रहे पंडित खेड़ा गांव निवासी कृपाशंकर अवस्थी भी 1989 में विहिप के आंदोलन में उनके साथ जेल गए थे। दोनों लोगों ने फूलमती मंदिर परिसर में ही भगवान श्री राम का मंदिर भी बनवाया है। फलाहारी बाबा ने बताया कि जिस दिन अयोध्या में श्रीराम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा होगी उसी दिन यहां भी वह मूर्ति स्थापना करेंगे। बताया कि 22 जनवरी को वह अयोध्या नहीं जा पा रहे हैं।
इसलिए केवल यहां अन्न के रूप में पंजीरी का प्रसाद चखेंगे। इसके बाद वह अयोध्या जाएंगे और वहां पूजन करने के बाद अन्न ग्रहण करेंगे। फलाहारी बाबा ने बताया कि अन्न और चारपाई का त्याग किए 34 साल हो गए। आंदोलन में जेल भी गए, लेकिन उन्हें निमंत्रण नही मिला। उन्होंने कहा कि स्थापना और प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान में आमंत्रित किया जाता तो खुशी होती। गंजमुरादाबाद कस्बा निवासी 85 वर्षीय रविशंकर रस्तोगी ने भगवान श्रीराम मंदिर आंदोलन में जेल गए थे और 22 दिन जेल में बिताए थे। कस्बे के मोहल्ला बड़ी बजार निवासी और राष्ट्र भक्ति के कार्यक्रमों बढ़ चढ़कर भाग लेने वाले रविशंकर रस्तोगी बताते हैं
कि छह दिसंबर 1992 की कार सेवा में जाने के लिए जत्था तैयार कर रहे थे। लेकिन एक सप्ताह पहले ही पुलिस ने घर से गिरफ्तार कर लिया। उन्हें उन्नाव के बाद रायबरेली जेल भेज दिया गया। यहां उन्हें 125 साथियों के साथ 22 दिनों तक रखा गया। वह बताते हैं कि भगवान श्रीराम के नाम पर 22 दिन क्या 22 वर्ष तक जेल में रहते तो कोई मलाल न होता। बताया कि वह भगवान राम के दर्शन करने अयोध्या धाम जाएंगे।