अजमेर समाचार राजस्थान के अजमेर जिले में मयूर स्कूल के 43वें वार्षिक पारितोषिक वितरण समारोह को राज्यपाल कलराज मिश्र ने संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा- शिक्षा प्राप्त कर किसी को अहंकार नहीं पालना चाहिए। शिक्षा जीवन को गढ़ती है। वही समाज आगे बढ़ता है जो शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी होता है। शिक्षा की नींव विद्यालय ही तैयार करते हैं। विद्यालय केवल शिक्षा प्रदान करने के केंद्र ही नहीं होते हैं, बल्कि हमारे यहां इसे संस्कार निर्माण की पाठशाला से जाना गया है। शिक्षा समस्त प्रकार के बंधनों से मुक्त कराती है। इसके बहुत गहरे अर्थ है। हम उदात्त जीवन मूल्यों की ओर प्रवृत्त हों। शिक्षा प्राप्त करने के बाद हम उसे पाने का अहंकार नहीं पाले।
हम बहुत अच्छा करें, लेकिन अपने किए पर कभी अभिमान नहीं करें। राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा- राष्ट्र सर्वोच्च है। उसके प्रति हमारे कर्तव्य के लिए सदा प्रतिबद्ध होकर कार्य करने की आवश्यकता है। हम संविधान की संस्कृति से निरंतर जुडे़ रहें। भारतीय संविधान अधिकारों और कर्तव्यों का बहुत सुन्दर समन्वय है। भारतीय संस्कृति के मूल तत्वों का संविधान एक प्रकार से संवाहक है। उन्होंने कहा कि संविधान की प्रारूप समिति के अध्यक्ष डॉ. भीमराव अम्बेडकर थे। उनके निर्देशन में भारत का संविधान लिखा गया।
मयूर स्कूल के 43 वें वार्षिक पारितोषिक वितरण समारोह के समापन कार्यक्रम में स्कूल के लगभग 200 विद्यार्थियों द्वारा केसेंडो नामक ओर्केस्ट्रा की शानदार प्रस्तुति दी गई। प्राचार्य संजय खाती ने वार्षिक प्रतिवेदन में कहा कि मयूर स्कूल एक अन्तर्राष्ट्रीय स्कूल की छवि में अपनी अमिट छाप छोड़ने को तैयार है। यहां के विद्यार्थियों को विद्यालय के अतिरिक्त समाज, राष्ट्र एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रत्येक क्षेत्र में सफल प्रदर्शन के लिए तैयार किया जाता है है। इस अवसर पर सम्भागीय आयुक्त सीआर मीणा, पुलिस महानिरीक्षक लता मनोज कुमार, जिला कलेक्टर डॉ. भारती दीक्षित और पुलिस अधीक्षक चूनाराम जाट उपस्थित रहे