राजस्थान के जयपुर में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कोचिंग सेंटर्स में सुसाइड के बढ़ते मामलों की रोकथाम के लिए बैठक बुलाई। इस मीटिंग में गहलोत ने कहा कि आईआईटी में वो बात नहीं रही, कई आईआईटीयन हमसे पॉलिटिकल सर्वे के लिए सम्पर्क करते हैं।कोचिंग सेंटर्स में सुसाइड के बढ़ते मामलों की रोकथाम के लिए बुलाई गई बैठक में सीएम अशोक गहलोत ने शुक्रवार रात कहा कि आईआईटी करने में आजकल वो बात नहीं रही। आजकल जो पॉलिटिकल सर्वे होते हैं चुनाव जिताने और हराने के, उसमें बहुत बड़ी भूमिका आईआईटी किए हुए लोगों की होने लगी है। अब आईआईटी करने के बाद में वो पॉलिटीकल पार्टी से सम्पर्क करते हैं। पॉलिटीशियन के चक्कर लगाते हैंसीएम अशोक गहलोत ने आईआईटी कोचिंग के लिए चल रही अंधी दौड़ और कोचिंग सेंटर्स में स्टूडेंट्स के सुसाइड केसेज पर गहरी चिंता जताई। शुक्रवार रात बैठक में सीएम गहलोत ने कहा- आईआईटी करने में आजकल वो बात नहीं रही, जो पहले हुआ करती थी। कई हमारे आईएएस अधिकारी आईआईटीयन हैं। दो यहां बैठे हुए हैं। कई आईआईटी करने के बाद में आईएएस बनते हैं। आजकल वो हमसे बहुत सम्पर्क करते हैं। आजकल जो पॉलिटिकल सर्वे होते हैं चुनाव जिताने और हराने के, उसमें बहुत बड़ी भूमिका आईआईटी किए हुए लोगों की होने लगी है। अब आईआईटी करने के बाद में वो पॉलिटीकल पार्टी से सम्पर्क करते हैं, पॉलिटीशियन के चक्कर लगाते हैं। अपनी कंपनी बनाते है और फिर वो सर्वे करते हैं। जितने भी सर्वे आ रहे हैं उसमें कई लोग आपको आईआईटीयन मिलेंगे।सीएम गहलोत ने कहा- कोचिंग संस्थाएं खुद आगे आकर बताएं किस प्रकार से उन्हें आगे बढ़ना है। कोचिंग के माध्यम से उनका योगदान हो सकता है। कई तो मां बाप खुद आकर बच्चों के साथ कोटा में रहने लग जाते हैं और बच्चों पर पूरा ध्यान देते हैं। गहलोत ने कहा- एक बात मुझे अच्छी लगी, इंफ्रास्ट्रक्चर, मैस का खाना अच्छा मिले, स्पोर्ट्स एक्टिविटी हो, बच्चों पर दबाव नहीं रहे। ये तो कोचिंग संचालकों को करना ही है।गहलोत ने कोचिंग संचालकों पर तंग कसते हुए कहा- आपने कोई कॉमर्शियल एक्टिविटी की तरह इसे मान लिया है। जिस तरह कोई इंडस्ट्रियलिस्ट हो, उस ढंग का आप लोग बड़े-बड़े विज्ञापन दे रहे हो, फ्रंट पेज पर विज्ञापन आना कितना कॉस्टली होता है। रोज विज्ञापन आते हैं, जितना कोचिंग के आते हैं उतना हम लोग पॉलिटिकल पार्टी के विज्ञापन नहीं आते,उलटा मामला हो रहा है।सीएम ने फिर कहा- मैं कहता हूं कि ये पैसा कहां से आता है, कितना आता है। कोई हिसाब किताब रखो। अपने पास में भी हिसाब-किताब रखो और मैं समझता हूं कि जवाबदारी रखो अपनी, किस तरह फीस को रेग्युलेट करें। 10वीं पास बच्चों को कोचिंग में बुला लेते हैं। 10वीं पास भी नहीं किया होता है उन बच्चों को बुला लेते हैं। लम्बी कतारें लगती हैं उनकी, मतलब क्राइम कर रहे हो आप लोग, ऐसा हो गया है। आईआईटीयन बन गया तो खुदा बन गया देश के अंदर, वो माहौल नहीं है। सीएम गहलोत ने कहा- 9वीं पास किए हुए ही बच्चे कोचिंग में आ जाते हैं और वो फर्जी स्कूलों में उनके नाम लिखते हैं। गहलोत ने शिक्षा मंत्री डॉ बीडी कल्ला को कहा कि आप शिक्षा मंत्री हैं, उनके नाम कटवा दीजिए वहां से, जो आईआईटी की कोचिंग कर रहा है, वो बच्चा ऐसे स्कूलों में खाली हाजिरी लगाता है। उसके पैरेंट्स की भी गलती है और कोचिंग क्लासेस संस्थाओं की भी गलती है कि आप उनका डमी नाम भरवाकर उनको कोचिंग करवा रहे हो। बच्चे वहां पर स्कूल जाते ही नहीं है। किसी वक्ता ने ठीक कहा था कि बच्चे पर 10 वीं पास करने का भी भार अलग है। बोर्ड का एग्जाम होता है। 10वीं, 11वीं, 12वीं पास करो, साथ में कोचिंग की पढ़ाई करो, तो अपने आप प्रेशर बन जाता है। आपको सोचना पड़ेगा जो कमियां-खामियां हैं उन्हें दूर करें। सरकार आपके साथ में आपको खड़ी मिलेगी। बशर्तें की आप ये सिस्टम जो बन गया है, गलतियां हो जाती हैं उन्हें सुधारने का वक्त आ गया है, क्योंकि बच्चों को मरते हुए नहीं देख सकते हैं। सीएम गहलोत ने कहा- कल-परसो अखबार में खबर आई थी कि बच्चे ने सुसाइड कर लिया। दो दिन पहले सुसाइड हो गया था, बाद में मालूम पड़ा। सिस्टम ऐसा बनाएं कि सुसाइड करने की नौबत आए ही नहीं, माहौल बनाने की जिम्मेदारी आपकी है कि वहां खुशनुमा माहौल रहे। बच्चे को लगे परिवार साथ खड़ा है। एक कोचिंग क्लास के वर्मा जी ने कहा था कि मैं पढ़ने लगा था तो तकलीफ हुई, रोना आ गया, मां की याद आ गई। तो आप ये क्यों नहीं सोचते हो कि सब मांओं को याद करने वाले लोग हैं, जो लोग सुसाइड कर रहे हैं। सोचना होगा वास्तव में 15-16 साल की उम्र में बच्चों को भेज देते हो, कि 9वीं, 10वीं, 11 वीं वहीं कर, साथ में कोचिंग कर। तमाम बातें हैं जिन पर मिलकर फैसला करना होगा। कोचिंग भी अपना काम कर सकें। पैरेंट्स और छात्रों को परेशानी नहीं हो। यहां से अच्छी कोचिंग करके बच्चे आगे बढ़ें। जैसे हम यहां से 500 बच्चों को विदेश में पढ़ने भेज रहे हैं, क्यों भेज रहे हैं, क्योंकि एक एक्जाम्पल देता हूं गायकवाड़ महाराजा ने अम्बेडकर को विदेश भेजा, तो संविधान निर्माता हो गए, एक्सपोजर हो गया। मैंने खुद विजिट की, सीकर में मेरे अच्छे अनुभव रहे, उदयपुर में डूंगरपुर-बांसवाड़ा के बच्चों को शहर में रहकर सरकारी होस्टल में पढ़ने का मौका मिल गया। पर्सनेलिटी, बातचीत में पॉजिटिव बदलाव हो गया। गहलोत ने कहा- आज जो सुझाव दिए गए हैं वीकली टेस्ट का दबाव रहता है। 6 घंटे की क्लास फिर एक्सट्रा क्लास भी लेते हैं। फिजिकल एक्टिविटी होती नहीं है। फिजिकल एक्टिविटी और हेल्थ का बहुत बड़ा संबंध है। स्पोर्ट्स, योग क्यों है, वॉकिंग भी करते हैं आप तो आपका माइंड और स्वास्थ्य ठीक रहता है। गांधीजी ने क्यों कहा कि बिना श्रम किए खाना खाना हराम है। क्योंकि वो खाना हजम नहीं होगा। कितनी बड़ी बात उस जमाने में उन्होंने कही कि हमारे शरीर के लिए वो उचित नहीं है। सीएम- हर इंस्टीट्यूटमें एक डॉक्टर का सेंटर और पैनल होना च