राजस्थान के जयपुर में विधानसभा चुनाव के लिए चंद महीनों का ही समय बचा है। इस बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो चुका हैं। प्रदेश में पिछले दिनों कांग्रेस विधायक की जुते चटवाने वाली घटना पर केंद्रीय मंत्री गजेन्द्र शेखावत ने तीखी टिप्पणी की है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कांग्रेस विधायक द्वारा दलित व्यक्ति से जूते चटवाने की घटना बताती है कि यह अंग्रेजो के वंशज है। यह दलित को इंसान नहीं मानते है। केंद्रीय मंत्री ने बीकानेर में छात्र की हत्या पर कहा कि पुलिस का किसी को गिरफ्तार नहीं किया जाना, संदेहास्पद है। कांग्रेस विधायक द्वारा दलित व्यक्ति की केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। शेखावत ने कहा कि कांग्रेस विधायक की जीभ न जल गई यह कहते हुए कि जब तक जूते जीभ से साफ नहीं करेगा जाने नहीं दूंगा। साथ ही कहा कि ये लोग दलितों को इंसान नहीं समझते हैं। ये अंग्रेजों के वंशज है। इन्हें लगता है बस इनको ही अधिकार है जीने का, बाकी सब इनकी गुलामी करें। बीकानेर में छात्र की हत्या की घटना पर शेखावत ने कहा कि बीकानेर में कॉलेज छात्र की हत्या और सीसीटीवी फुटेज में पूरी घटना सामने आने के बाद भी पुलिस का किसी को गिरफ्तार नहीं किया जाना संदेहास्पद है। यहां आरोपियों के बराबर पुलिस भी दोषी नजर आ रही है। किसने उसके हाथ बांधे हैं। विप्र समाज ने सर्वथा उचित मांग रखी है। आरोपियों की गिरफ्तारी तुरंत होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि यह घटना कांग्रेस का काला, जातिगत भेदभाव से भरा अमानवीय एक और चेहरा सबके सामने ला रही है। पीड़ित के एक-एक आरोप की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। राजस्थान गांधी और गहलोत परिवार की जागीर नहीं है और न ही कोई उनका यहां गुलाम है।पुलिस ने बयान जारी कर जांच का हवाला देते हुए कहा है कि पेशाब करना और जुते चटवाने के मामले को प्रारम्भिक तफ्तीश में मामले को झूठा पाया है। जिले के जमवारामगढ़ इलाके में अपहरण कर पीटने, पेशाब करने और जूते चटवाने जैसे आरोप इस्तगासा के जरिये दर्ज करवाए गए थे।प्रारम्भिक जांच के अनुसार यह मामला सेवनिवृत्ता पुलिस अधिकारी नवदीप सिंह की शह पर दर्ज करवाया गया है। उल्लेखनीय है कि नवदीप सिंह का कई वर्षों से जमवारामगढ़ इलाके के गांव टोडालडी आंधी में इस जमीन पर निवास कर रहे स्थानीय कब्जाधारी आदिवासी व दलित समुदाय के लोगों से विवाद चल रहा है। नवदीप सिंह ने इन कब्जो का हटाने के लिए अपने प्रभुत्व का इस्तेमाल करते हुए दूसरे हलके के पटवारी को बुलाकर पत्थरगढ़ी करवानी चाही। इन्होंने पुलिस अधिकारियों पर भी दबाव बनाने की कोशिश की, लेकिन संभावित अवैधानिकता व कानून व्यवस्था की स्थिति को ध्यान में रखते हुए पुलिस इनके नाजायज दबाव में नहीं आई।भूमि पर इनके द्वारा किये गये कृत्यों के संबंध में स्थानीय निवासियों द्वारा अनूसूचित जाति/जनजाति एक्ट की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज करवाया। इस मामले का अनुसंधान पुलिस उप अधीक्षक शिव कुमार भारद्वाज द्वारा किया जा रहा था। नवदीप सिंह ने इस मामले में शीघ्र एफआर देकर मामले को तत्काल बंद करने के लिए अनुचित दबाव डालना प्रारम्भ कर दिया और सोची समझी साजिश के तहत अपने व्यक्ति से 156/3 में इस्तगासा करके यह मुकदमा दर्ज करवाया। देश में राज्य सरकार द्वारा फ्री एफआईआर रजिस्ट्रेशन की नीति लागू है और यदि यह घटना वास्तव में हुई होती तो परिवादी उसी दिन पुलिस थाने में मामला दर्ज करवा सकता था या थाने में मामला दर्ज नहीं होने पर पुलिस अधीक्षक कार्यालय में जाकर मुकदमा दर्ज करवा सकता था। करीब एक महीने के अन्तराल के बाद मीडिया का ध्यान आकर्षित करने एवं पुलिस पर दबाव बनाने के साथ ही विवादास्पद भूमि पर पुनः कब्जा करने के लिए यह षडयंत्र रचा गया। गैर हलके में जाकर गैर कानून तरीके से पत्थरगढ़ी करने के मामले जिला कलेक्टर द्वारा संबंधित पटवारी को निलम्बित किया जा चुका है। उल्लेखनीय है कि पूर्व में नवदीप सिंह को उनके द्वारा विधिविरुद्ध कार्य करने पर पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया जा चुका है। इनके पुलिस मुख्यालय में पदस्थापन के समय राजकीय यात्रा के दौरान वाहन चालक से मारपीट करने पर वाहन चालक द्वारा एससी/एसटी प्रावधानों के अनुसार मुकदमा दर्ज करवाया गया था। इसी प्रकार इनके द्वारा आर्मी एरिया में कानून हाथ में लेकर जवान के साथ मारपीट करने पर सेना द्वारा इनके विरुद्ध मुकदमा दर्ज करवाया गया। बीकानेर पुलिस अधीक्षक व भरतपुर डीआईजी का इनका कार्यकाल अत्यंत विवादास्पद रहा है और इनके विरुद्ध अनेक आरोप लगे थे।