उत्तराखंड के अल्मोड़ा मे स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतरी के दावों के बीच अल्मोड़ा में व्यवस्थाएं पटरी पर नहीं आ पा रही हैं। ऐसी ही अव्यवस्थाओं से जांच के लिए महिला अस्पताल पहुंची गर्भवतियों को भी गुजरना पड़ा है। यहां अधिकांश महिला चिकित्सकों के अवकाश पर रहने से गर्भवतियों को बच्चों की डॉक्टर से जांच करानी पड़ी। वहीं अन्य मरीजों को उपचार कराने के लिए घंटों लाइन में लगकर इंतजार करना पड़ा। जिला महिला अस्पताल में बुधवार को स्वास्थ्य व्यवस्थाएं लड़खड़ा गईं। दरअसल, यहां 9 महिला चिकित्सक और एक बाल रोग चिकित्सक की तैनाती है। इनमें से तीन चिकित्सक अवकाश पर रहीं और तीन पीजी करने के लिए अस्पताल छोड़कर चली गईं। शेष चार चिकित्सकों में दो की रात्रि ड्यूटी लगने से वे अस्पताल नहीं आईं। सिर्फ एक महिला चिकित्सक और बाल रोग विशेषज्ञ के भरोसे अस्पताल का संचालन हुआ। बुधवार को सुबह से ही गर्भवतियों और अन्य मरीजों का अस्पताल पहुंचना शुरू हो गया। 10 बजे तक यहां 150 से अधिक गर्भवतियां और मरीज जांच और उपचार के लिए पहुंच गए, लेकिन एकमात्र महिला रोग विशेषज्ञ होने से उनके उपचार और जांच कराने में पसीने छूट गए।
गर्भवतियां जांच के लिए घंटों चिकित्सक के कक्ष के बाहर लाइन में लगकर अपनी बारी का इंतजार करती रहीं। भीड़ अधिक होने से बाल रोग विशेषज्ञ को भी गर्भवतियों की जांच करने के लिए मजबूर होना पड़ा। घंटों बाद जांच और उपचार होने से गर्भवतियों, मरीजों ने राहत की सांस ली। दूर-दराज से पहुंची गर्भवतियों को अधिक परेशानी झेलनी पड़ी। महिला अस्पताल अल्मोड़ा में गर्भवतियों और अन्य मरीजों की खासी भीड़ रही, लेकिन जांच के लिए चिकित्सक नदारद रहे। ऐसे में एकमात्र महिला रोग विशेषज्ञ के साथ ही बच्चों की डॉक्टर को उनके उपचार और जांच की जिम्मेदारी संभालनी पड़ी। सभी को राहत देने के लिए दोनों ने तय समय बाद भी जांच और उपचार किया। शाम तीन बजे तक अस्पताल का संचालन हुआ, जबकि इसका समय दोपहर ढाई बजे तय है। धूरा की रहने वाली हरुली देवी ने बताया कि मैं अपनी दो बहुओं को जांच के लिए अस्पताल लेकर पहुंची। डॉक्टर न होने से जांच के लिए पांच घंटे इंतजार करना पड़ा। व्यवस्थाओं में सुधार होना चाहिए। वहीं, खेती की रहने वाली कलावती देवी ने कहा कि वह बहू को लेकर जांच के लिए सुबह 10 बजे पहुंच गई थीं। किसी तरह दो बजे बाद जांच हो सकी। पर्याप्त चिकित्सक न होने से खासी दिक्कत झेलनी पड़ी।
हवालबाग की दीपा साह ने कहा कि सभी चिकित्सकों के अस्पताल में न होने से खासी दिक्कत झेलनी पड़ी। स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर होने के बजाय और भी कमजोर हो रही हैं। पोखरखाली की रहने वाली रजनी ने कहा कि जांच के लिए घंटों इंतजार करना पड़ा। अस्पताल में ऐसी अव्यवस्था पहले नहीं देखीं। स्वास्थ्य विभाग को इस पर गंभीरता से सोचने की जरूरत है। महिला अस्पताल अल्मोड़ा की सीएमएस डॉ. प्रीति पंत ने कहा कि चिकित्सकों के अवकाश और पीजी के लिए जाने से दिक्कत आई है। चिकित्सकों के अवकाश से लौटने के बाद व्यवस्था पटरी पर लौटेगी। गर्भवतियों और मरीजों को राहत पहुंचाने के हरसंभव प्रयास किए जाएंगे।