उत्तर प्रदेश के आगरा में शादी में मिले दहेज से संतुष्ट नहीं होने पर तीन बच्चों की मां को ससुराल वालों ने जलाकर मार दिया। जिला जज विराट कुमार श्रीवास्तव ने ताजगंज के मदीना मस्जिद नई आबादी निवासी पति सानू अंसार अहमद को दोषी पाया। उसे आजीवन कारावास और 15 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई। कोर्ट ने अपने निर्णय में टिप्पणी दी कि जीवित व्यक्ति के जलने का कष्ट सबसे बड़े शारीरिक कष्टों में से एक है। ऐसे में दोषी दया का पात्र नहीं है। वादी मोहम्मद कदीर ने ताजगंज थाने में केस दर्ज कराया था। बताया कि उन्होंने अपनी बेटी नीलोफर का निकाह 2004 में सानू अंसार अहमद के साथ किया था। निकाह के बाद कुछ दिनों तक सब ठीक चला। ससुराल वाले दहेज से संतुष्ट नहीं थे। आए दिन मारपीट करते थे। बेटी उत्पीड़न सहती रही। 13 नवंबर 2016 को ससुराल वालों ने बेटी को मारपीट कर घर से निकाल दिया। वह मायके आकर रहने लगी। बेटी ने मां को बताया कि पति, ससुर, सास, देवर और ननद मुझे जलाकर मारने की बातें कर रहे थे। मगर, एक सप्ताह बाद समाज के लोगों ने राजीनामा कराकर बेटी को पति के साथ ससुराल भेज दिया। 13 नवंबर 2016 को सूचना मिली कि बेटी को केरोसिन डालकर जला दिया गया है। वहां पहुंचे तो बेटी घर पर नहीं मिली। एसएन इमरजेंसी में डॉक्टरों ने बताया कि कुछ लोग जली अवस्था में भर्ती कराकर चले गए। इलाज के दौरान बेटी की मौत हो गई। मगर, इससे पहले उसने मजिस्ट्रेट के सामने घटना के संबंध में बयान दे दिए। उस बयान के आधार पर पुलिस ने अन्य ससुराल वालों के नाम एफआईआर से हटाए। पति के खिलाफ हत्या एवं जलाने की धाराओं में चार्जशीट लगाई। एडीजीसी योगेश बघेल ने तर्क व साक्ष्य देकर कठोर सजा की मांग की। पुलिस मामले की जांच कर कर रही हे