उत्तर प्रदेश के गोरखपुर की प्रतिदिन दूध की खपत क्षमता एक लाख लीटर की है, लेकिन डेयरी की ओर से मंडल के देवरिया, कुशीनगर, महराजगंज और गोरखपुर से केवल 25 से 30 हजार लीटर ही दूध खरीदा जाता है। इन सबके बीच दिसंबर में खेल शुरू हुआ कि दूध खरीदने में डेयरी के अधिकारियों ने दिलचस्पी नहीं ली। पराग डेयरी के बंद होने की खबर से परेशान गोरखपुर और देवरिया के दुग्ध उत्पादक- पशुपालक बृहस्पतिवार को डेयरी परिसर पर पहुंचे। उन्होंने बकाए धन की मांग की जिम्मेदारों से संतोषजनक आश्वासन नहीं मिलने पर पशुपालक भड़क गए और हंगामा करते हुए धरने पर बैठ गए। इस दौरान उन्होंने कारखाना प्रबंधक बद्री सिंह बोरा को घेर लिया। उन्हें धरनास्थल पर जमीन पर बैठाए रखा। चेयरमैन डॉ. रणजीत सिंह को चैंबर से बाहर नहीं निकलने दिया। माहौल बिगड़ता देख पुलिस बुला ली गई। तीन घंटे के धरने के बाद सहायक दुग्धशाला विकास अधिकारी रेनू कुमारी पहुंचीं। उन्होंने चेयरमैन के साथ धरनास्थल पर जाकर पशुपालकों से ज्ञापन लिया। उनकी बातों को शासन तक पहुंचने का आश्वासन दिया। चेयरमैन रंजीत सिंह ने मौके पर कुछ मांगों को मानते हुए तुरंत करवाई के निर्देश दिए। इसके बाद दुग्ध उत्पादकों ने प्रदर्शन खत्म किया। बता दें कि घाटे में चलने की वजह से पराग डेयरी के प्लांट को एक जून से ही बंद कर दिया गया है। पिछले दो दिनों से दूध उत्पादकों से दूध लेना भी बंद कर दिया गया। दूध न खरीदने के पीछे प्रबंधन की तरफ दूध में पानी मिलाना बताया गया। वहीं, गोरखपुर के दूध उत्पादकों का डेयरी पर दो करोड़ रुपये से अधिक का बकाया है। अन्य मदों सवा छह करोड़ रुपये की देनदारी पराग डेयरी पर है। पुलिस मामले की जांच कर रही हे