उत्तर प्रदेश के मथुरा।प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने कहा कि ये गौरव की बात है कि अब बहू-बेटियां पशुपालन-कृषि के क्षेत्र में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही हैं। 10-15 साल के दौरान देखने में आया है कि इस क्षेत्र में बहू-बेटिया प्रशिक्षित होकर काम कर रही हैं। पशुपालन का कालेजों में प्रशिक्षण ले रही हैं। वे जानती हैं कि घर की आय बढ़ानी है, अच्छा स्वास्थ्य बनाना है, बच्चों को अच्छी तरह से पढ़ाना है, उन्हें स्वस्थ जीवन देना है तो परिवार के साथ मिलकर काम करना होगा।सोमवार को केंद्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान में आयोजित 100वें राष्ट्रीय वैज्ञानिक बकरी पालन प्रशिक्षण एवं बकरी मेला का शुभारंभ करते हुए राज्यपाल ने कहा कि समय के साथ महिलाओं की सोच में आ रहे बदलाव खुशी प्रदान करते हैं। वे समझ गई हैं कि बेहतर कल कैसे बनाया जा सकता है। उन्होंने बकरी पालन प्रशिक्षण कार्यक्रम में अधिसंख्य महिलाओं को देखकर खुशी जताई। कहा कि वे और आगे बढ़ने के लिए प्रयास करें। बड़ा सोचें, बड़े लक्ष्य तय करें। यहां महिलाएं वैज्ञानिक तरीके से बकरी पालन सीखकर गांव की अन्य महिलाओं को भी इसका प्रशिक्षण दें। सभी मिलकर किसानों के एफपीओ (फार्मर प्रोड्यूसर आर्गनाइजेशंस) के पैटर्न पर बकरी पालकों की संस्था बनाएं।वैज्ञानिक तकनीक पर चर्चा करते हुए राज्यपाल ने कहा कि जब आपकी बकरी जंगल में चरते समय कहीं दूर निकल जाती है तो फिर उन्हें कैसे पता चलता है कि वह कहां है। क्या और कितना खा रही है, कितना पानी पी रही है। उन्होंने इसके लिए बकरियों को जिओ टैग एवं रेडियो फ्रीक्वेंसी पहचान (आरएफआईडी) लगवाने के लिए कहा। इस पर मात्र एक सौ रुपये का खर्च आता है। उन्होंने कहा कि बकरी के दूध की वैज्ञानिकता निरंतर बढ़ रही हैं। ऐसे में अनुसंधान संस्थानों को डेयरी से एमओयू करते हुए पशुपालकों को लाभ दिलाने का प्रयास करना चाहिए। उन्होंने बकरी अनुसंधान संस्थान द्वारा प्रकाशित उन्नत बकरी पालन, बापू की बकरी व 45 बकरी पालकों की सफलता की कहानी पुस्तकों का विमोचन किया। अनुसूचित जाति एवं जनजाति की महिला बकरी पालकों को बकरियों के स्वास्थ्य तथा फीड संबंधी किट वितरित कीं। इस दौरान आईसीएआर के उपमहानिदेशक डॉ बीएन त्रिपाठी, यूपी वेटरनेरी यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. एके श्रीवास्तव, सीआईआरजी के निदेशक मनीष कुमार चेटली मौजूद रहे। संचालन डॉ अशोक कुमार ने किया। महिलाओं का ध्यान आकर्षित किया -राज्यपाल ने महिलाओं से कहा कि बकरी पालन की छोटी-छोटी बातों की जानकारी होगी और उनका ध्यान भी रखती होंगी, लेकिन गर्भवती होने पर बहू-बेटियों को क्या जरूरत हैं इस पर ध्यान नहीं दिया जाता है। उन्हें और गर्भ में पल रहे बच्चे को कब और क्या खिलाएं जिससे वे दोनों निरोगी व स्वस्थ रहें। भगवान कृष्ण का उल्लेख करते हुए कहा कि यह उनकी जन्मभूमि है। उन्होंने जन्म तो यहां लिया, फिर गुजरात (द्वारिका) चले गए। उनकी मां ने उन्हें गाय का दूध-दही खिलाया था। इसीलिए वे इस लायक बने। उन्होंने सलाह दी कि बच्चों को जन्म के पहले घंटे से ही मां का दूध पिलाना शुरू करें। उसके लिए इससे ज्यादा सुपाच्य और पौष्टिक कुछ भी नहीं हो सकता। इससे बच्चा भी स्वस्थ होगा