हिमाचल प्रदेश में मंडी जिले में पिछले दिनों हुई भारी बारिश के बाद ब्यास बाढ़ में बंगाला बस्ती में पांच मकान बह गए और भ्यूली के दो दर्जन से अधिक मकान क्षतिग्रस्त हुए हैं। इस बीच अपने आशियाने बह जाने पर दर्द बयां करते प्रभावित भावुक हो उठे। हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में पिछले दिनों हुई भारी बारिश के बाद ब्यास बाढ़ में बंगाला बस्ती में पांच मकान बह गए और भ्यूली के दो दर्जन से अधिक मकान क्षतिग्रस्त हुए हैं। इस बीच अपने आशियाने बह जाने पर दर्द बयां करते प्रभावित भावुक हो उठे। बंगाला बस्ती के इन लोगों ने कहा कि पहले उनकी बस्ती में खुशियां थीं, मगर अब बस्ती सुनसान पड़ी है, वहां पर कोई नहीं है।ब्यास सदन में रह रहे इन लोगों ने बताया कि उनके कई मकान ब्यास नदी की लहरों में समा गए हैं और कुछ क्षतिग्रस्त हैं। कहा कि मकान तो बह गए हैं, मगर उनकी याद और अपनी मेहनत से कमाया सामान नहीं भूल रहा है। कहा कि कब तक वह इस अस्थायी स्थान पर रहेंगे। ब्यास नदी का पानी करीब 40 फीट ऊपर बहकर बंगाला बस्ती तक पहुंच गया, जहां लोगों के पक्के और अस्थायी मकानों को अपने साथ बहा ले गया। मौके पर अब वहां टूटे फूटे मकान हैं, जिनकी खिड़कियां दरवाजे पानी के बहाव से टूट कर बह गए हैं।क्षतिग्रस्त मकानों में अब कुछ ईंटे चिपकी रह गई हैं तो कहीं मकानों की नींव बयां कर रही है कि यहां भी लोग रहते थे। जलस्तर बढ़ने पर लोगों ने आनन-भानन में अपना सामान निकालकर आस पड़ोस के घरों में रखा। वहीं, भ्यूली स्थित गृहरक्षा की छठी वाहिनी कार्यालय के धरातल में बने करीब एक दर्जन कमरों में गाद भरी हुई है। जहां मजदूर और जेसीबी लगाकर गाद को हटाया जा रहा है। भवन की पहली मंजिल पर कार्यालय चलाना पड़ रहा है। बाढ़ आने से गृह रक्षकों का फर्नीचर, वर्सी, जूते भी खराब हो गए हैं।रात्रि गश्त करने के बाद गृह रक्षक सुबह भवन में विश्राम करते थे, लेकिन अब वहां गाद भरी पड़ी है। पहले कभी नहीं देखा ब्यास का ऐसा रूपबंगाला बस्ती के चांदु राम ने बताया कि नौ जुलाई सुबह चार बजे ब्यास नदी का जलस्तर बढ़ते ही लोगों में हड़कंप मच गया। क्योंकि इतना सारा पानी पहले कभी नहीं आया था। आनन-फानन में जो सामान हाथ लगा, लोगों ने उसे सुरक्षित निकाल कर आस पड़ोस के घरों में रखा, लेकिन जलस्तर बढ़ने से करीब आधा दर्जन लोगों के मकान पूरी तरह पानी में बह गए। इसमें कालीदास, राजू राम, सहित अन्य लोगों का पूरा सामान बह गया है।रिश्तेदार के घर में रहने वाले युवक कुश ने बताया कि वह अपनी बुआ कमला के घर पर रहता है, लेकिन पिछले दिनों बाढ़ आने से उनका मकान भी क्षतिग्रस्त हुआ है। वहां अब टूटे खिड़की दरवाजे ही शेष बचे हैं। वहीं, पड़ोस की सुनीता ने बताया कि पहाड़ी से मलबा गिरने से उसका अस्थायी शेड भी टूट गया है। पति अपाहिज है, जो चल फिर नहीं सकता। लोगों के घरों में काम कर गुजारा करती हैं।बाढ़ से प्रभावित सरोज ने कहा कि उनके मकान के आगे दरारें पड़ गई हैं। कभी भी उनके घर का डंगा ढह सकता है। ऐसे में सरकार उन्हें सुरक्षित स्थान पर जगह देकर पक्के मकान बना कर दे। क्याेंकि उनका सब कुछ बर्बाद हो गया है। सराज विधानसभा क्षेत्र के थुनाग बजार में बर्बादी का मुख्य कारण सड़क निर्माण का फेंका मलबा और सड़क निर्माण के दौरान काटे पेड़ की अवैध डंपिंग है। बादल फटने के कारण थुनाग नाले के साथ मलबा और पेड़ कहर बनकर टूट पड़े। इससे पूरा बाजार तबाह हो गया। दुकानदार और ग्रामीण दुकानदार तुले राम, अजय कुमार, अश्वनी कुमार, अमरीश, डोले राम, प्रकाश, राजेंद्र कुमार और मोहर सिंह ने कहा कि 2022 में रैनगलू हेलीपैड से तांदी गांव तक जब सड़क निर्माण किया तो उस समय कटिंग का मलबा हर कहीं नाले में फेंक दिया। रविवार को भारी बारिश के चलते जो सड़क निकाली थी, वह सड़क टूट गई और भूस्खलन हुआ। भूस्खलन अपने साथ कई पेड़ और डंपिंग की मिट्टी और लकड़ी को भी अपने साथ ले आया। इसके लिए वन विभाग और ठेकेदार जिम्मेदार हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि जिस समय सड़क का निर्माण किया उस समय अवैध रूप से कई पेड़ काटे गए।