उत्तर प्रदेश के रायबरेली। ब्लॉक क्षेत्र के रुस्तमपुर से ऐसी बरात निकली कि देखने वाले देखते ही रह गए। इसमें बैंडबाजा के साथ बैलगाड़ियों की लंबी लाइन थी। बैलों के गले में खन-खन करते घुंघरू आकर्षण का केंद्र रहे। सड़क किनारे और घरों की छतों पर लोग खड़े होकर बरात देखते रहे। आधुनिक जमाने में इस तरीके से बरात निकालने के पीछे दूल्हे के परिवार का मकसद पुरानी परंपराओं को यादगार बनाना रहा।रुस्तमपुर गांव के निवासी अजीत यादव की बरात बुधवार को जब गांवों के रास्तों से जा रही थी, तो देखकर लोगों के बीच चर्चा का माहौल रहा। लोग यही कहते रहे कि कार, बस और ट्रैक्टर के जमाने में ऐसी बरात कौन ले जाता है। बैलगाड़ी से बरात देख लोगों में पुराने जमाने की यादें ताजा हो गईं। बरात को लोगों की भीड़ अपने दरवाजे व छतों पर उत्साहपूर्वक खड़े होकर देखती नजर आई। आगे-आगे घोड़े और पीछे बैलगाड़ियों का काफिला निकला। दूल्हे के पिता दिनेश यादव ने बताया कि आज के दौर में लोग लग्जरी गाडिय़ों और हेलीकॉप्टर को शादी में लाने का शौक रखते हैं।दूल्हे के पिता ने बताया कि उनके परिवार ने शादी को यादगार बनाने के लिए कुछ अलग करने की ठानी। पुरानी पद्धति को फिर से वापस लाने के लिए एक अनोखा कार्य किया गया। दिनेश यादव ने कहा कि आज से 70 साल पहले लोगों के पास संसाधन नहीं रहते थे। लोग बैलगाड़ियों से बरात ले जाया करते थे। कहा कि बैलगाड़ियों का इंतजाम करना कठिन काम है। बैलगाड़ी का प्रचलन समाज से विलुप्त होता जा रहा है, लेकिन काफी मेहनत के बाद 25 बैलगाड़ियों का इंतजाम कर पाया। उधर भुएमऊ निवासी रामनंद यादव की बेटी की खुशी का ठिकाना नहीं रहा, जब उसने बैलगाड़ी से अपनी बारात आती देखी। दुल्हन ने कहा अजीत ने बैलगाड़ी से बरात ला करके मेरी जिंदगी का एक यादगार लम्हा बना दिया है।दुल्हन बहुत खुश नजर आई