उत्तर प्रदेश के लखनऊ मे प्रदेश सरकार पिछड़े क्षेत्रों में उच्च स्तरीय चिकित्सा सुविधा वाले अस्पतालों की स्थापना के लिए नई नीति लाने जा रही है। इसके लिए निजी क्षेत्र के संस्थानों को एक रुपया प्रति वर्ष के रियायती दर पर पट्टे की सरकारी भूमि दी जाएगी। इसके अलावा पूंजीगत व परिचालन अनुदान, स्टांप ड्यूटी में छूट जैसे अन्य लाभ भी मिलेंगे।शासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि वर्तमान में लागू ‘यूपी चिकित्सा एवं स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए सरकारी निजी सहभागिता नीति’ उम्मीद के हिसाब से नतीजा नहीं दे सकी। इसके बाद नई नीति ‘यूपी राज्य में अस्पतालों के विकास में निजी निवेश को आकर्षित करने के लिए सरकारी सहयोग की योजना’ लाई जा रही है। इससे संबंधित कैबिनेट प्रस्ताव को जल्द मंजूरी दिलाने की तैयारी है।निजी सहयोग से ये अस्पताल आठ आकांक्षात्मक (पिछड़े) जिलों व 100 पिछड़े ब्लाकों में प्राथमिकता पर बनाए जाएंगे। इसके अलावा 17 नगर निगमों, नोएडा -ग्रेटर नोएडा के क्षेत्रों व गैर पिछड़े क्षेत्रों के लिए अलग फॉर्मूला तैयार किया गया है। पूरी योजना चार मॉडल पर प्रस्तावित है।
केंद्र की वायबिलिटी गैप फंडिंग पर आधारित
– निजी क्षेत्र की संस्था 50 वर्ष के लिए कम से कम 50 शैय्या के अस्पताल का निर्माण और संचालन करेगी। इसके बाद शून्य लागत पर अस्पताल, उपकरण व परिसंपत्तियां सरकार को हस्तांतरित करनी होगी। सरकार इसके लिए प्रतिवर्ष 1 रुपया के रियायती दर पर पट्टे पर भूमि उपलब्ध कराएगी। परियोजना लागत का अधिकतम 80% तक निजी क्षेत्र की संस्था को पूंजीगत अनुदान। इसमें 40% हिस्सा केंद्र सरकार की वीजीएफ (वायबिलिटी गैप फंडिंग) योजना से मिलेगा पहले 5 वर्षों के लिए संचालन खर्च का अधिकतम 50% तक परिचालन अनुदान निजी क्षेत्र की संस्था को दिया जाएगा। इसमें 25 प्रतिशत वीजीएफ योजना के अंतर्गत केंद्र सरकार से प्राप्त हो सकेगा। अस्पताल की स्थापना मॉडल एक की तरह 50 वर्ष के लिए होगा। एक रुपया प्रतिवर्ष की दर पर पट्टे पर सरकारी भूमि मिलेगी। इसमें 40% पूंजीगत अनुदान व बिडिंग प्रक्रिया से तय परिचालन अनुदान मिलेगा। 50 वर्ष बाद अस्पताल पर सरकार का नियंत्रण हो जाएगा भूमि निजी क्षेत्र की संस्था की होगी। कम से कम 50 शैया का अस्पताल बनाएगी व संचालन करेगी। सरकार को भूमि व अस्पताल का हस्तांतरण नहीं होगा। पूंजीगत अनुदान नहीं मिलेगा। स्टांप शुल्क में छूट व अन्य लाभ नीति के तहत मिलेंगे। यह 17 नगर निगमों के साथ नोएडा-ग्रेटर नोएडा क्षेत्र में लागू होगी। भूमि संस्था के स्वामित्व की होगी। संस्था कम से कम 200 शैया के अस्पताल का निर्माण व संचालन करेगी। सरकार को भूमि व अस्पताल का हस्तांतरण नहीं होगा। संस्था प्रतिवर्ष कुल शैया दिवसों का 25% चयनित रोगियों के लिए रखेगी। यहां प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना व मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना के रोगियों का इलाज होगा। पूंजीगत अनुदान लागू नहीं होगा। स्टांप छूट व अन्य लाभ नीति के तहत मिलेंगे।
मुफ्त इलाज और जांच सुविधाएं
इन अस्पतालों में मरीजों को आपातकालीन, ओपीडी और भर्ती सेवा तो मिलेगी ही, सभी तरह की डायग्नोस्टिक जांच मुफ्त होगी। विभाग सभी मॉडल के अस्पतालों में इलाज पर खर्च हुई रकम की प्रतिपूर्ति करेगा। इसके लिए भी दिशानिर्देश बनाए गए हैं। निजी संस्थानों के चयन की प्रक्रिया भी प्रस्तावित की गई है।
800 करोड़ वार्षिक खर्च का अनुमान
इस योजना के क्रियान्वयन से मोड-ए के अंतर्गत आठ आकांक्षी जिलों में 1-1 अस्पताल, मोड-बी में 50 आकांक्षी ब्लॉकों में 1- 1 अस्पताल व मोड-सी में 50 आकांक्षी ब्लॉकों में 1-1 अस्पताल स्थापना का लक्ष्य है। इसमें करीब 800 करोड़ रुपये वार्षिक खर्च होने का अनुमान है।