उत्तर प्रदेश के ललितपुर। खेड़र और शहजाद नदी के बाद अब डीएम की पहल पर बरुआ नदी को पुनर्जीवन दिया जाएगा। यह नदी ब्लॉक तालबेहट के ग्राम चुरावनी से निकलती है और ग्राम पठारी के पास जामनी नदी में मिल जाती है। मनरेगा के तहत करीब पांच किलोमीटर नदी को पुनर्जीवन देने के लिए ब्लॉक स्तर पर सर्वे प्रारंभ हो गया है।इस नदी को नया जीवन मिल जाने से करीब आधा दर्जन गांव के लोगों को इसका लाभ मिलेगा। मौजूदा समय में यह नदी देखरेख के अभाव में नाले में बदल गई है। नदी में छोटे-बड़े कुल छह नाले मिलते हैं। नदी में अत्यधिक सिल्ट जमा हो जाने से यह अपना वास्तवित स्वरूप खोकर विलुप्त होने की कगार पर पहुंच गई है।जिलाधिकारी आलोक सिंह ने इस नदी को पुनर्जीवित करने से संबंधित कार्य तालबेहट के कार्यक्रम अधिकारी मनरेगा/परियोजना निदेशक अनिल कुमार सिंह को सौंपा है। नदी का पूरा कार्य मनरेगा के तहत किया जाएगा। इसमें नदी की चौड़ाई सात से आठ मीटर होगी। गहराई भी एक से दो मीटर तक की जाएगी। इतना ही नहीं गर्मी के दिनों में पानी संरक्षित रह सके इसके लिए पांच किलोमीटर लंबी नदी के बीच में चैकडैम बनाए जाएंगे। नदी के दोनों ओर के तटों पर बांस के पौधे रोपे जाएंगे, जिससे कि कटाव को रोका जा सके। सब कुछ ठीक रहा तो जल्द ही इसका कार्य शुरू हो जाएगा और बरसात के दिनों में यह नदी अपने पुराने स्वरूप में आ जाएगी। इस नदी के आसपास खेतों में फसलों की सिंचाई हो सकेगी।बरुआ नदी ग्राम चुरावनी से निकलकर करैंगा, हंसारकलां, विजयपुरा, पूराकलां होते हुए पठारी गांव के पास से होकर गुजरती है। नदी के पुनर्जीवित होने से इन गांवों में नदी के आसपास के ग्रामीणो को खेतों की सिंचाई को पानी उपलब्ध होगा। इसके साथ नदी के जल से मवेशी भी अपनी प्यास बुझाएंगे। आधा दर्जन गांव से होकर गुजरने वाली बरुआ नदी में करीब छह नाले आकर मिलते हैं। जोकि नदी के स्वरूप को और बड़ा करते है। बरुआ नदी के साथ साथ इन सहायक नालों का भी जीर्णोद्धार किया जाएगा। तालबेहट के मनरेगा कार्यक्रम अधिकारी अनिल कुमार सिंह ने डीएम के निर्देश पर ग्राम पंचायत चुरावनी से निकलने वाली बरुआ नदी का जीर्णोद्धार करने की कार्ययोजना तैयार की गई है। जीर्णोद्धार कार्य मनरेगा के जरिए कराया जाएगा। पुलिस मामले की जांच कर रही हे