हरियाणा के करनाल। प्रदेश में किसानों से लेकर आढ़तियों, राइस मिलर, ट्रांसपोर्टर और खरीद एजेंसियों तक की नजरें इन दिनों धान खरीद नीति पर टिकी है, क्योंकि खरीद नीति के बिना धान खरीद की प्रारंभिक प्रक्रिया शुरू नहीं हो रही है। विभागीय सूत्रों के अनुसार हरियाणा सरकार 25 सितंबर से धान की खरीद शुरू कर सकती है। इस बार सीएमआर की वापसी में फिसड्डी राइस मिलरों को सरकार झटका दे सकती है। धान खरीद नीति का मसौदा मंगलवार को उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के कार्यालय पहुंच चुका है। उनसे हरी झंडी मिलने के बाद धान खरीद नीति जारी हो सकती है। सोमवार और मंगलवार को मौसम शुष्क रहने के कारण एक बार फिर धान की कटाई तेज होने लगी है। करनाल, इंद्री, तरावड़ी सहित कई अनाज मंडियों में सोमवार को पीआर-26 धान की आवक हुई।सरकारी खरीद शुरू नहीं हो पाने के कारण और धान में नमी की मात्रा अधिक होने के कारण निजी चावल कारोबारी धान को 1800 से 2000 रुपये प्रति क्विंटल खरीद रहे हैं। जिससे किसानों को प्रति क्विंटल 200 से 400 रुपये तक प्रति क्विंटल तक का नुकसान हो रहा है। आलम ये है कि अभी धान खरीद भी जारी नहीं की गई। खरीद एजेंसियों के अधिकारियों का कहना है कि खरीद की उनकी तैयारियां पूरी है, सिर्फ खरीद नीति का इंतजार है। क्योंकि इसके बाद ही सारी प्रक्रिया शुरू हो सकेगी।इधर, विभागीय सूत्रों के अनुसार हरियाणा सरकार 25 सितंबर से प्रदेश में धान की खरीद शुरू कर सकती है, जिसकी तैयारियां की जा रही है। सूत्रों के अनुसार खरीद पॉलिसी तैयार हो चुकी है, जिसे उप मुख्यमंत्री के कार्यालय अवलोकन व स्वीकृति के लिए भेजा गया है। जहां से बुधवार या वीरवार को खरीद पॉलिसी जारी की जा सकती है। सूत्रों ने ये भी बताया कि खरीद पॉलिसी में कोई खास बदलाव नहीं किया गया है लेकिन जो राइस मिलर्स सीएमआर देने में फिसड्डी रहे हैं, उनके प्रति सरकार का रुख सख्त रह सकता है।- अनाज मंडी में अब लगातार पीआर-26 धान की आवक बढ़ती जा रही है। मंगलवार को भी धान की आवक हुई। हालांकि पिछले दिनों बारिश से धान की कटाई रुक गई थी, जो आज फिर शुरू हुई है लेकिन सरकारी खरीद शुरू नहीं होने से किसानों को भारी नुकसान हो रहा है। कई किसान तो धान पकने के बाद भी कटाई नहीं करा पा रहे हैं, लेकिन मौसम खराब हो रहा है, उन्हें डर है कि कहीं उनकी फसल बर्बाद न हो जाए। आढ़तियों को भी भारी नुकसान होगा। मंडियों में पीआर धान की आवकर मंडियों में शुरू हो चुकी है। सरकारी खरीद शुरू न होने के कारण प्राइवेट खरीदार औने पौने दामों पर धान खरीद कर किसानों को भारी नुकसान पहुंचा रहे हैं। अगर जल्द सरकारी एजेंसियां खरीद शुरू नहीं करती तो किसान बर्बाद हो जाएगा। व्यापारियों, आढ़तियों व सेलर मालिकों से अनुरोध है कि यदि सरकार से उनका कोई विवाद है तो समय रहते सुलझाएं। सीजन के बीच में हड़ताल न करें। खरीद जल्द शुरू नहीं होती है तो किसान यूनियन को आंदोलन का रास्ता अपनाना पड़ेगा