हरियाणा के करनाल/तरावड़ी। गैलेक्जी ग्रुप परिवार की ओर से से आयोजित श्रीमद्भागवत कथा में वीरवार को कृष्ण जन्मोत्सव मनाया गया। माता देवकी और वासुदेव के धर्मशीशील व तपशील जीवन का उल्लेख करते हुए कथा व्यास विवेक व्यास ने कहा कि संकट में भी ईश्वर के प्रति मन, कर्म और वचन से समर्पित भक्ति के प्रभाव से ही भगवान धर्म की स्थापना के लिए धरती पर अवतरित होते हैं। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण के जीवन में स्नेह, सेवा, परोपकार के साथ नीति व न्याय का भी दर्शन निहित है।नवकुंडीय अतिविष्णु महायज्ञ व श्रीमद्भागवत सप्ताह यज्ञ एवं भंडारे का कार्यक्रम 23 जुलाई को शुरू हुई थी। वीरवार को गोयल परिवार के सदस्यों ने यज्ञशाला में आहुतियां दी। मौके पर नवकुंडीय अति विष्णु महायज्ञ यज्ञाचार्य प्रमोद शास्त्री ने बताया जिस क्षेत्र में नवकुंडीय अतिविष्णु महायज्ञ किया जाता है। वहां के लोग पुण्य के भागी बन जाते हैं, क्योंकी जहां पर भगवान का सिमरन किया जाया है वहां की धरती पवित्र हो जाती है। मौके पर यजमान विनोद गोयल, विजय गोयल एवं कृष्ण गोयल ने व्यासपीठ पर श्रीमद्भागवत महापुराण की पूजा कर कथा व्यास का तिलक लगाकर सम्मान किया। पांचवें दिन की कथा में कथा व्यास ने सुनाया कि वामन अवतार के रूप में भगवान विष्णु ने राजा बलि को यह शिक्षा दी कि दंभ और अंहकार से जीवन में कुछ भी हासिल नहीं होता और यह धन संपदा क्षण भंगुर होती है। इसलिए इस जीवन में परोपकार करो। मौके पर ईश्वर चंद गोयल, हरियाणा हैफेड के चेयरमैन केएल भगत, ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टर एसोसिएशन के प्रधान लाला नाथीराम गुप्ता, संजय बंसल, करनाल। पुरुषोत्तम मास (अधिक मास) के उपलक्ष्य में कोट मोहल्ला स्थित हरियाणा के एकमात्र पुष्टिमार्गीय मंदिर श्रीनाथजी में विविध अलौकिक मनोरथ के तहत वीरवार को रंग महल उत्सव का आयोजन किया गया। इस विशेष उत्सव में मंदिर परिसर में एक अद्भुत रंग महल की संरचना की गई। जिसमे विभिन्न रंगों एवं फूलों से श्रीजी के महल को सजाया गया और उसमें साक्षात पूर्ण पुरुषोत्तम श्रीनाथजी प्रभु को विराजमान किया गया। समस्त करनाल के वैष्णव भक्तजन और समस्त हरियाणा प्रदेश से आए अनेक श्रद्धालुओं ने आनंद से दर्शन किए। भक्तों ने पुष्टिमार्गीय गीत संगीत से प्रभु को रिझाया व उत्सव में आये वैष्णव जनों को भाव विभोर किया। मंदिर की सेवा के प्रमुख संचालक मंदिर के महासचिव नरेश शर्मा ने बताया कि पुष्टि मार्ग में इस पुरुषोत्तम मास का बहुत अधिक महत्व है। इसमें भगवान श्रीनाथजी प्रभु के वर्ष भर के लगभग सारे मनोरथ और उत्सव इसी महीने में श्रद्धा और आनंद से मनाए जाते हैं।