उत्तर प्रदेश के कानपुर मे गर्मी का कहर जारी है। लू लगने से रोगियों की तबीयत बिगड़ रही है। खासतौर पर उन लोगों को अधिक तकलीफ हो रही है, जो पहले से किसी रोग की गिरफ्त में हैं। रविवार को एक बच्चे समेत दो की मौत हो गई। इसके साथ ही हैलट इमरजेंसी, उर्सला और निजी अस्पतालों में रोगी भर्ती हुए हैं। हैलट में छह रोगी बेहोशी की हालत में लाए गए। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के सीनियर फिजीशियन डॉ. जेएस कुशवाहा का कहना है कि डायबिटीज, लिवर, सांस तंत्र और गुर्दा के रोगियों को लू जल्दी लग जा रही है। उनके शरीर में कमजोरी होती है, जिससे वे गर्मी का स्ट्रेस बर्दाश्त नहीं कर पाते। आजादनगर के रहने वाले आलोक कुमार (65) की लू लगने के बाद मौत हो गई। परिजनों ने बताया कि आलोक अस्थमा के रोगी रहे हैं। दोपहर बाहर से आए और पानी पीया। इसके बाद वहीं गिर गए। उन्हें कल्याणपुर के अस्पताल ले जाया गया, वहां डॉक्टर ने जांच के बाद मृत घोषित कर दिया। इसी तरह रामादेवी के रहने वाले रघु के डेढ़ साल के दो साल के बच्चे की मौत हो गई। बुखार के साथ उसे दस्त आ रहे थे। रघु ने बताया कि क्षेत्र के नर्सिंगहोम दिखाने गए, वहां से हैलट भेज दिया। अस्पताल पहुंचने के पहले ही बच्चे ने दम तोड़ दिया। हैलट इमरजेंसी में रविवार सुबह आठ बजे से रात आठ बजे 68 रोगी भर्ती किए गए। इनमें लू लगने से लिवर और गुर्दा फेल के रोगी रहे हैं। डॉ. कुशवाहा ने बताया कि कोमॉर्बिड रोगियों को लू जल्दी लग जाती है। इससे एहतियात बरतें। गर्मी में गर्भपात के मामले बढ़े हैं। जच्चा-जच्चा-बच्चा अस्पताल में रोगियों की संख्या बढ़ गई है। स्त्री रोग विभाग की प्रोफेसर डॉ. सीमा द्विवेदी ने बताया कि लू लगने के बाद डायरिया, उल्टी होने लगती है। इससे शरीर में पानी की कमी होती है जिसकी वजह से गर्भपात की दिक्कत हो जाती है। उन्होंने बताया कि पहले दो-तीन केस आते थे, अब गर्भपात के चार पांच केस आने लगे हैं। जो गर्भवती महिलाएं एहतियात बरत रही हैं और शरीर में पानी की कमी नहीं होतीं, वे ठीक हैं, लेकिन जरा सी लापरवाही हो जाने पर दिक्कत हो जा रही है।