उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले के कारोबारियों का कहना है कि चमड़े की कमी को देखते हुए कारोबार घाटे मे जा रहा है कच्चे चमड़े की उपलब्धता के लिए वाणिज्य मंत्रालय को पत्र भेजा गया है। कच्चा चमड़ा न मिलने से कारोबार सिमट रहा है। प्रधानमंत्री की चिंता उचित है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को भुवनेश्वर में ‘उत्कर्ष ओडिशा, मेक इन ओडिशा कॉन्क्लेव’ के उद्घाटन अवसर पर कच्चे माल के निर्यात पर चिंता व्यक्त की। कहा है कि देश की तेज प्रगति सिर्फ कच्चे माल के निर्यात से संभव नहीं है। कच्चे माल का निर्यात और तैयार उत्पाद का आयात स्वीकार नहीं है। प्रधानमंत्री के इस संबोधन का शहर के चमड़ा कारोबारियों और निर्यातकों ने स्वागत किया है।प्रधानमंत्री की चिंता उचित है। दस हजार करोड़ से ज्यादा के सालाना कारोबार वाला चमड़ा उद्योग भैंस की खाल की समस्या से जूझ रहा है।
कच्चा माल उपलब्ध न होने से टेनरियों में उत्पादन प्रभावित है। वहीं, सौ से दो सौ रुपये में कच्चा चमड़ा का निर्यात किया जा रहा है, जबकि बाजार में 1000 से 1200 रुपये में प्रति खाल मिल रही है। शहर में चमड़ा उद्योग सबसे ज्यादा लोगों को रोजगार और सरकार को विदेशी मुद्रा उपलब्ध कराता है। शहर और उन्नाव को मिलाकर करीब चार सौ टेनरियां हैं।
शहर में इनकी संख्या करीब 240 है। 2014 से पहले तक कच्चे चमड़े के निर्यात पर 100 प्रतिशत शुल्क लगता था। बाद में इसे 80, फिर 60 और मौजूदा समय में यह शुल्क 40 प्रतिशत है, जिसे बढ़ाने की मांग की गई थी। उन्नाव समेत पूरे प्रदेश से 80 प्रतिशत मीट निर्यात होता है। उन्नाव में चार से पांच स्लाटर हाउस हैं। फिर भी कारोबार घाटे मे जा रहा है यह एक चिंता का विषय है महगाई की मार इतनी है कि लोगो के खर्चे पूरे नहीं हो पा रहे है